उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने विधानसभा में 46 साल पहले हुए संभल दंगों (Sambhal Violence) का उल्लेख करते हुए इस घटना की फाइल को फिर से खोलने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री के बयान के बाद अधिकारियों ने दंगों से जुड़ी फाइलों की जांच शुरू कर दी है। कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह ने संभल जिले के अधिकारियों से दंगे से संबंधित सभी फाइलें मांगी हैं और मामले की प्रगति रिपोर्ट भी तलब की है।
संभल दंगे का काला अध्याय
मुख्यमंत्री योगी ने सोमवार को यूपी विधानसभा में संभल दंगों के काले अध्याय का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि 1978 में हुए दंगों के दौरान संभल के अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हमले किए गए थे, जिसके परिणामस्वरूप कई हिंदू मारे गए और सैकड़ों परिवारों ने पलायन किया था। इस दौरान 40 रस्तोगी परिवारों को घर छोड़कर भागना पड़ा था, और मंदिरों में पूजा करने वाला कोई नहीं बचा था। योगी ने कहा कि 1947 से अब तक संभल में कुल 209 हिंदुओं की हत्या हुई, लेकिन आज तक किसी को सजा नहीं मिल पाई।
46 साल बाद खुला बंद मंदिर
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि 46 साल बाद संभल में एक प्राचीन मंदिर का ताला खोला गया, जिसमें बजरंगबली, नंदी, गणेश की मूर्तियां और कार्तिकेय की खंडित मूर्ति मिली हैं। मंदिर परिसर से स्वास्तिक चिन्ह वाली ईंटें भी प्राप्त हुई हैं। इस मंदिर का इतिहास भी अब सामने आ रहा है।
संभल दंगे की फाइलों की समीक्षा
दंगे की जांच में किस स्तर पर चूक हुई, इसकी समीक्षा शुरू कर दी गई है। अफसर यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि दंगे की जांच में गवाहों को कितनी बार पेश किया गया, अदालत के वारंट की स्थिति क्या रही, और साक्ष्यों को इकट्ठा करने में कहां लापरवाही बरती गई। कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह ने कहा कि दंगे से जुड़ी सभी फाइलों की समीक्षा की जाएगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि दोषियों को सजा दिलाने में कोई कसर न छोड़ी जाए।
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हो सकती है सजा
अब, 46 साल बाद इस मामले की फिर से जांच शुरू होने से स्थानीय लोगों और प्रभावित परिवारों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। मुख्यमंत्री योगी ने कहा है कि इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा और दंगों के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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