Shrawan 2021: आखिर क्यों की जाती है महादेव की शिवलिंग रूप में पूजा, जानें इसका रहस्य

पंचांग के अनुसार आज सावन (Sawan) का पहला सोमवार है. आज का दिन अत्यंत शुभ है. आज के दिन विशेष धार्मिक महत्व माना जाता है. श्रावण मास यानी सावन का महीना आरंभ हो चुका है. पंचांग के मुताबिक 26 जुलाई 2021 सोमवार को श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि है. श्रावण के सोमवार का यह व्रत विशेषकर कुंवारी लड़कियों के लिये लाभप्रद है. अगर कुंवारी लड़िकयां इस दिन भगवान शिव के निमित्त व्रत करें और उनकी विधि-विधान से पूजा करें तो उनको जल्द ही एक अच्छे और सुयोग्य वर की प्राप्ति होगी.


1 arrested for breaking Shivling-m.khaskhabar.com

देवों के देव महादेव की पूजा करना अपने आप में ही बहुत पुण्य का काम है. यही नहीं भगवान शिव की भक्ति करने से लोगों के कई पाप कट जाते हैं. धरती पर भगवान शिव का अस्तित्व शिवलिंग के रूप में माना जाता है. जिसकी पूजा, आराधना करना हमारी सबसे बड़ी आस्था है. शिव जी का पूजन शिवलिंग के रूप में इसलिए होती है क्योंकि उनकी आराधना का मूल कारण इन्हें ही माना जाता है. यही वजह है कि शिव मूर्ति और लिंग गोनों रूपों में पूजे जाते हैं. शिव का अर्थ है- ‘परम कल्याणकारी’ और लिंग का अर्थ है- ‘सृजन’. शिव के वास्तविक स्वरूप से अवगत होकर जाग्रत शिवलिंग का अर्थ होता है ‘प्रमाण’.


जानिए शिवलिंग पर क्या चढ़ाने से क्या फल मिलता है? : News & Features Network

वेद-पुराणों में लिंग से तात्पर्य सूक्ष्म शरीर के लिए आता है. यह सूक्ष्म शरीर 17 तत्वों से बना होता है. मन, बुद्धि, पांच ज्ञानेन्द्रियां, पांच कर्मेन्द्रियां और पांच वायु. वायु पुराण के मुताबिक प्रलयकाल में समस्त सृष्टि जिसमें लीन हो जाती है और पुन: सृष्टिकाल में जिससे प्रकट होती है उसे लिंग कहते हैं. इस प्रकार विश्व की संपूर्ण ऊर्जा ही लिंग की प्रतीक है.


देवों के देव महादेव की केवल निराकार लिंग के रूप पूजा होती है. लिंग रूप में समस्त ब्रह्मांड इनकी पूजा करता है, क्योंकि वो ही इस जगत का मूल कारण माने जाते हैं. इसलिए शिव मूर्ति और लिंग दोनों रूपों में पूजे जाते हैं. यह संपूर्ण सृष्टि बिंदु नाद स्वरूप है.


ये है दुनिया का इकलौता जीवित शिवलिंग, इसके रहस्य के आगे वैज्ञानिक भी हैं  हैरान - Youth Trend | DailyHunt

बिंदु एवं नाद अर्थात शक्ति और शिव का संयुक्त रूप ही तो शिवलिंग में अवस्थित है. बिंदु अर्थात ऊर्जा और नाद अर्थात ध्वनि. यही दो शिवलिंग में अवस्थित है. बिंदु अर्थात ऊर्जा और नाद अर्थात ध्वनि. यही दो संपूर्ण ब्रह्मांड का आधार है.


दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग, हर साल बढ़ जाती है इसकी उंचाई | Upasana TV

शिवलिंग का अर्थ है शिव का आदि-अनादी स्वरूप. शून्य, आकाश, अनन्त, ब्रह्माण्ड व निराकार परमपुरुष का प्रतीक. स्कन्दपुराण के मुताबिक आकाश स्वयं लिंग है. धरती उसका आधार है व सब अनन्त शून्य से पैदा हो उसी में लय होने के कारण इसे लिंग कहा है. शिव पुराण के अनुसार, शिवलिंग की पूजा करके जो भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं उन्हें प्रात: काल से लेकर दोपहर से पहले ही इनकी पूजा कर लेनी चाहिए. इसकी पूजा से मनुष्य को भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है.


Also Read: Shrawan 2021 Vrat Rules: सावन के महीने में भूलकर भी न करें ये काम, वरना नाराज हो जाएंगे महादेव


( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )