पूर्व सांसद उमाकांत यादव (Umakant Yadav) सहित 7 आरोपियों को शाहगंज जीआरपी कॉन्स्टेबल (Shahganj GRP Constable) की हत्या मामले में उम्रकैद की सजा सुना दी गई. सोमवार (8 अगस्त 2022) को जीआरपी कॉन्स्टेबल अजय सिंह क परिजनों को 27 सालों के बाद न्याय मिला है. इस मामले की सुनवाई जौनपुर के अपर सत्र न्यायाधीश तृतीय की कोर्ट में चल रही थी. इस कोर्ट ने उमाकांत यादव सहित 7 लोगों को मामले में दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है. इसके अलावा इन लोगों पर पांच लाख का जुर्माना भी लगाया गया है. अपर सत्र न्यायाधीश एमपी/एमएलए कोर्ट शरद कुमार त्रिपाठी ने यह फैसला सुनाया है.
ड्राइवर को छुड़ाने के लिए चली थीं गोलियां
बता दें कि कोर्ट ने 6 अगस्त को ही सभी आरोपियों को दोषी करार दिया था. इसके बाद आज मामले की कोर्ट में दोबारा सुनवाई हुई. करीब 2 बजे से लेकर साढ़े 4 बजे तक सुनवाई चली. कोर्ट ने सभी दलीलों को विस्तार से सुना. उधर, फैसला आने के बाद उमाकांत के समर्थकों में मायूसी देखने को मिली है. 27 साल पहले उमाकांत यादव ने शाहगंज जंक्शन पर जीआरपी चौकी के लॉकअप में बंद अपने ड्राइवर को छुड़ाने के लिए 7 लोगों के साथ जीआरपी पुलिसकर्मियों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं थी. इसमें जीआरपी सिपाही अजय सिंह की मौत हो गई थी.
क्या था जीआरपी थाने के सिपाही का हत्याकांड?
मामला 4 फरवरी 1995 का है. शाहगंज स्टेशन मास्टर कार्यालय प्लेटफार्म नंबर एक पर बेंच पर बैठने की बात को लेकर कुछ लोग झगड़ा हो गया. उसमें उमाकांत का ड्राइवर राजकुमार भी शामिल था. सूचना पर जीआरपी चौकी के सिपाहियों ने राजकुमार को हिरासत में लिया. इसकी खबर उमाकांत तक पहुंची तो 7 लोगों (गनर बच्चू लाल स्टेनगन(कार्बाइन), पीआरडी जवान सूबेदार, धर्मराज, महेंद्र और सभाजीत) के साथ मौके पर पहुंच गए. ड्राइवर को छुड़ाने के लिए जीआरपी पुलिसकर्मियों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं. इसमें जीआरपी सिपाही अजय सिंह की मौत हो गई, जबकि सिपाही लल्लन सिंह, रेलवे कर्मचारी निर्मल वाटसन और यात्री भरतलाल गोली लगने से जख्मी हो गए.
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