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शाहजहांपुर: IAS रिंकू सिंह राही ने क्यों लगाई उठक-बैठक? खुद बताई वजह, जानिए पूरा मामला

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के शाहजहांपुर (Shahjahanpur) जिले की पुवायां तहसील में नवागत एसडीएम रिंकू सिंह राही (SDM Rinku Singh Rahi) का एक वीडियो मंगलवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें वह वकीलों के सामने कान पकड़कर उठक-बैठक करते नजर आ रहे हैं। वीडियो वायरल होते ही लोग इस घटना को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं देने लगे। कुछ लोगों ने इसे प्रशासन की विनम्रता बताया तो कुछ ने अफसरों की बेबसी पर तंज कसते हुए प्रशासनिक अनुशासन पर सवाल खड़े किए।

वकीलों के विरोध के बीच एसडीएम की माफी

दरअसल, एसडीएम रिंकू सिंह ने कार्यभार संभालने के बाद तहसील परिसर का निरीक्षण किया था, इस दौरान उन्होंने खुले में पेशाब करते चार लोगों को उठक-बैठक लगाने की सजा दे दी। इस कार्रवाई से नाराज वकीलों ने विरोध जताया और धरना शुरू कर दिया। स्थिति बिगड़ती देख एसडीएम रिंकू सिंह खुद मौके पर पहुंचे और वकीलों के सामने उठक-बैठक कर माफी मांगी। इसके बाद ही स्थिति शांत हो सकी।

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वीरता और ईमानदारी के लिए पहले भी रहे चर्चा में

रिंकू सिंह राही का नाम पहले भी चर्चाओं में रहा है। वर्ष 2009 में मुजफ्फरनगर में समाज कल्याण अधिकारी के पद पर रहते हुए उन्होंने करीब 100 करोड़ रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले का खुलासा किया था। इसके बाद उन पर जानलेवा हमला हुआ था, जिसमें उन्हें छह से सात गोलियां मारी गई थीं। इस हमले में वह बाल-बाल बचे लेकिन गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनका जबड़ा और आंख बुरी तरह जख्मी हो गई थी।

संघर्ष के बाद बनी आईएएस की प्रेरणादायक कहानी

हमले के बावजूद रिंकू सिंह ने हार नहीं मानी। इलाज के बाद उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी रखी और सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगते रहे। 2012 में उन्होंने लखनऊ निदेशालय के बाहर अनशन भी किया था। इसी बीच उन्होंने यूपीएससी की तैयारी भी जारी रखी और 2022 में आईएएस बनकर एक नई मिसाल कायम की। एनआईटी जमशेदपुर से मेटलर्जी में बीटेक कर चुके रिंकू सिंह ने पहले गेट में देशभर में 17वीं रैंक हासिल की थी।

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प्रशासनिक गरिमा पर बहस, सोशल मीडिया पर मीम्स

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर मीम्स और चर्चाओं की बाढ़ आ गई है। एक ओर लोग रिंकू सिंह की विनम्रता की सराहना कर रहे हैं, तो दूसरी ओर प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं। कुछ यूजर्स का कहना है कि अगर एक ईमानदार और साहसी अधिकारी को इस तरह सार्वजनिक माफी मांगनी पड़े, तो यह व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल है।

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