SIR-‘वोट चोरी’ पर विवाद तेज़, विपक्ष ला सकता है मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव

मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार (Gyanesh Kumar) के खिलाफ विपक्षी दल महाभियोग प्रस्ताव (Impeachment) लाने पर विचार कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, इस मुद्दे पर कई विपक्षी दलों में मंथन चल रहा है। हालांकि कांग्रेस सांसद सैयद नासिर हुसैन ने कहा है कि अभी तक पार्टी के भीतर इस पर चर्चा नहीं हुई है, लेकिन अगर आवश्यकता पड़ी तो कांग्रेस नियमों के तहत प्रस्ताव ला सकती है। यह विवाद राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ (Vote-Chori) वाले आरोपों और बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर उठे विरोध के बाद और गहराया है।

चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस

इन आरोपों के बीच चुनाव आयोग (ECI) ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्पष्ट किया कि वह किसी भी झूठे आरोप से न डरता है और न ही प्रभावित होता है। आयोग ने लोगों से अपील की कि वे हर हाल में अपने संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल करते हुए मतदान जरूर करें। साथ ही आयोग ने यह भी दोहराया कि उसके लिए कोई पक्ष या विपक्ष नहीं है, सभी राजनीतिक दल समान हैं।

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CEC का जवाब और आयोग की सख्ती

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने विपक्ष के आरोपों पर कहा कि इनका असर न आयोग पर पड़ेगा और न ही मतदाताओं पर। उन्होंने जोर देकर कहा कि चुनाव आयोग निष्पक्ष तरीके से अपना काम करता रहेगा और किसी राजनीतिक दबाव में नहीं आएगा। मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोपों पर जानकारी देते हुए आयोग ने बताया कि अब तक 28,370 लोग अपने दावे और आपत्तियां दर्ज करा चुके हैं।

बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण पर विवाद

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर विपक्ष ने मोर्चा खोल दिया है। विपक्षी दलों का आरोप है कि इस प्रक्रिया के तहत दस्तावेजों की कमी के कारण लाखों पात्र मतदाताओं को सूची से बाहर किया जा सकता है। वहीं, चुनाव आयोग का कहना है कि इसका उद्देश्य सिर्फ यह सुनिश्चित करना है कि हर योग्य नागरिक का नाम सूची में दर्ज हो और अपात्र लोगों को हटाया जाए।

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सुप्रीम कोर्ट की सख्ती

इस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने भी दखल दिया है। अदालत ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि बिहार में मतदाता सूची से हटाए गए करीब 65 लाख नामों का पूरा विवरण सार्वजनिक किया जाए और इसके पीछे के कारण भी बताए जाएं। इस पर आयोग ने आश्वासन दिया है कि वह अदालत के आदेश का पालन करेगा।

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