UP: आजमगढ के 250 और मिर्जापुर के 150 मदरसे निकले एकदम फर्ज़ी, पिछली सरकारों ने बिना सत्यापन किए मान्यता देकर लुटाए करोडों रूपए

उत्तर प्रदेश में मजहबी तालीम के नाम पर चलाए जा रहे मदरसों (Madarsa) को लेकर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है. एसआईटी जांच में आजमगढ़ (Azamgarh) के 250 और मिर्जापुर (Mirzapur) के 150 मदरसे पूरी तरह फर्जी पाए गए हैं. जांच में निकला है कि पिछली सरकारों ने बिना भौतिक सत्यापन किए मदरसों को मान्यता दी और फिर सालों तक करोड़ों सरकारी रूपया लुटाती रहीं. वहीं इसे लेकर एसआईटी ने प्रदेश सरकार से मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी है.


एसआईटी रिपोर्ट के मुताबिक साल 2009-10 में बिना भौतिक सत्यापन के कई मदरसों को मान्यता दी गई थी. इस दौरान करोड़ों रुपए के अनुदान का घोटाला हुआ था. एसआईटी की जांच में अल्पसंख्यक विभाग के कई अफसर और कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है. इस मामले में एसआईटी ने जांच पूरी करने के बाद शासन को रिपोर्ट भेजी है. साथ ही इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की भी अनुमति मांगी गई है.


दरअसल वर्ष 2017 में शासन स्तर से यूपी के सभी मदरसों का डेटा ऑनलाइन करने का आदेश जारी किया गया. मदरसों की डिटेल पोर्टल पर अपलोड करते समय आजमगढ़ जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की तरफ से सभी 683 मदरसों का भौतिक सत्यापन कराया गया. इनमें 300 मदरसों का फर्जीवाड़ा पकड़ में आया. इन 300 में 100 मदरसे सिर्फ कागजों में संचालित थे.


एसआईटी ने 23 के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की

आरोप है कि आजमगढ़ में मदरसों के नाम से रजिस्ट्रेशन और मान्यता लेने के बाद दूसरे विद्यालयों का संचालन किया जा रहा था. जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने इन मदरसों की मान्यता रद्द करने की संस्तुति की थी. योगी सरकार ने इस मामले की एसआईटी जांच करायी. एसआईटी ने 23 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी है जिसमें कई मदरसा संचालक, शिक्षक और कर्मचारी शामिल हैं. बाकी अन्य मदरसों की जांच प्रक्रिया चल रही है.


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