लाइफस्टाइल: स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के इस्तेमाल में ज्यादा समय बिताने वालों के लिए ये खबर बड़ी चिंता का सबब बन सकती है. अमेरिका की फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर और शोध सहलेखक थॉमस जॉइनर ने कहा था कि आधुनिक समय में किशोरों द्वारा स्क्रीन का ज्यादा इस्तेमाल, अवसाद और खुदकुशी का खतरा बढ़ा देता है.
क्लीनिकल साइकोलॉजिकल साइंस के जर्नल ने एक शोध प्रकाशित किया था जिसमें बताया गया था कि जो बच्चे स्मार्टफोन की जगह खेलों, अन्य शाररिक गतिविधियों, आपस में बात करने और होम वर्क में ध्यान देते हैं, वो ज्यादा खुश रहते हैं.
जॉइनर ने बताया कि माता-पिता को यह नहीं सोचना चाहिए कि उन्हें अपने बच्चों के स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से दूर करने की जरूरत हैै. उन्हें अपने बच्चों के स्क्रीन के इस्तेमाल को एक से दो घंटे तक ही सीमित कर देना चाहिए. बच्चों को इनसे दूर रखना कहीं से व्यावहारिक और सही नहीं है.
जॉइनर ने आगे कहा, “स्क्रीन्स देखने में अत्यधिक समय बिताने और खुदकुशी के खतरे, अवसादग्रस्त होने, खुदकुशी के ख्याल आने तथा आत्महत्या की कोशिश करने के बीच चिंताजनक संबंध है. ये सभी मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे बेहद गंभीर हैं. मुझे लगता है कि अभिभावकों को इस पर विचार करना चाहिए.”
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अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के आंकड़ों के मुताबिक साल 2010 से 2015 के बीच thirteen और 18 साल के किशोरों के बीच अवसाद और खुदकुशी की दर में 31 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. अमेरिका में हुए राष्ट्रीय सर्वेक्षण में इस बात का खुलासा हुआ कि अवसाद की शिकायत करने वाले किशोरों की संख्या में 35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.
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