राम जन्मभूमि के लिए आमरण अनशन कर सुर्खियों में आए तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास (Mahant Paramhans Das) ने अपने जन्मदिन पर राष्ट्रपति को पत्र लिखकर सात सूत्रीय मांग की है। मांग पूरी नहीं होने की दशा में इच्छामृत्यु की अनुमति भी मांगी गई है। परमहंस दास ने राष्ट्रपति ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, प्रदेश के मुख्यमंत्री और जिला अधिकारी अयोध्या को भी यह पत्र भेजा है।
ये हैं परमहंस दास की सात सूत्रीय मांगें
राष्ट्रपति को लिखे पत्र में महंत परमहंस दास ने जो मांगे रखी हैं, उनमें जनसंख्या नियंत्रण कानून, समान नागरिक संहिता, भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए, बेटियों की शिक्षा मुफ्त हो, गोवंश को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए एवं ग्राम स्तर पर गौ सेवा प्रधान के द्वारा हो, रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाए और इसे विभिन्न पाठ्यक्रमों में अनिवार्य किया जाए, योग्यता के आधार पर बेरोजगारों को नौकरी दी जाए और राष्ट्र को बेरोजगारी से मुक्त किया जाए।
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परमहंस दास ने पत्र में लिखा है कि यदि इन मांगों को पूरा नहीं किया जाता तो फिर इच्छामृत्यु का आदेश दिया जाए। तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने कहा कि राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए हमने सात सूत्रीय मांग पत्र राष्ट्रपति महोदय को भेजा है। उन्होंने कहा कि अगर हमारी मांगें पूरी ना हो सके तो हमें इच्छा मृत्यु का आदेश दिया जाए।
उन्होंने कहा कि मुगल काल में भारत की जो स्थिति थी उसकी पुनरावृत्ति न हो। आजाद भारत के बाद भी कश्मीर में मानवता का संहार हुआ, पश्चिम बंगाल में आज भी गायों की खुलेआम हत्या हो रही है। यह हमारी संस्कृति के विपरीत है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति गौ, गंगा और भगवा से है।
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परमहंस दास ने कहा कि राष्ट्रीय एकता और अखंडता बनाए रखने के लिए यह तभी संभव है जब भारत हिंदू राष्ट्र घोषित हो। देश विरोधी सोच रखने वाले लोग एक षड्यंत्र कर देश का विभाजन कराना चाहते हैं। यही वजह है कि उन्होंने राष्ट्रपति के समक्ष सात सूत्रीय मांगें रखी हैं।
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