बीते दिनों दारुल उलूम के फतवे के मुताबिक शादी-समारोह में पुरुषों और महिलाओं के एक साथ खाना खाने को हराम बताने वाले इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम ने अब एक और नया फतवा जारी कर दिया है. दारुल उलूम ने अपने नए फतवे में महिलाओं का बारात में जाना नाजायज़ बताया है. साथ ही, जारी फतवे में नसीहत देते हुए कहा- ‘यदि महिलाएं बारात में शामिल होती हैं तो वे गुनाह में शामिल होंगी’.
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सहारनपुर स्थित विश्व इस्लामिक संस्था दारुल उलूम ने जारी किया फतवा
आपको बता दें कि हाल ही में सहारनपुर स्थित विश्व इस्लामिक संस्था दारुल उलूम ने एक नया फतवा जारी करते हुए किसी भी शादी या अन्य बड़े समारोह में सामूहिक रूप से मर्दों और औरतों के भोजन करने को हराम करार दिया था. इतना ही नहीं, मुफ्तियों ने शादियों में खड़े होकर खाने को भी नाजायज करार दिया था.
एक सवाल पर दारुल उलूम ने अपने जवाब में कहा
देवबंद के ग्राम फुलासी के रहने वाले नजम गौड़ ने दारुल उलूम देवबंद के इफता विभाग से सवाल करके पूछा- ‘आमतौर पर घर से निकाह के लिए जब दूल्हा बारात लेकर निकलता है तो बारात में नाच गाने के साथ ही परिवारों और रिश्तेदारों के साथ-साथ जान पहचान की महिलाएं भी शामिल होती हैं. क्या इस तरह की बारात ले जाने की शरीयत इजाजत देता है’? इस सवाल के जबाव मे दारुल उलूम ने जारी फतवे में कहा- ‘ढोल बाजे और महिलाओं व पुरुषों का एक साथ बारात में जाना शरीयत इस्लाम में नाजायज है, इससे बचना चाहिए. यदि दुल्हन को रुखसत कराने के लिए जाना हो तो दूल्हे के साथ घर के दो या तीन लोगों का जाना ही काफी है’.
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