स्पेशल: दिवाली रौशनी और खुशियों का त्यौहार होता है. हर साल दिवाली बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है, लेकिन इस साल की दिवाली थोड़ी अलग होगी क्योंकि कोरोना की वजह से काफी चीजों में बदलाव आए है. इस बार हमें प्रदुषण को ध्यान में रखते हुए कई चीजें करनी होंगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पांच दिवसीय पर्व दीवाली पर जलाए जाने वाले 3 दीपकों का रहस्य क्या है और आखिर क्यों इन्हें जलाने की परंपरा का निर्वहन किया जाता है.
पांच दिवसीय पर्व दीवाली पर पहला दीपक धनतेरस के दिन यमराज के निमित्त जलाया जाता है. मान्यता है कि जिस घर में दीपदान किया जाता है, वहां अकाल मृत्यु नहीं होती है. धनतेरस की शाम को मुख्य द्वार पर 13 और घर के अंदर भी 13 दीप जलाने होते हैं. लेकिन यम के नाम का दीपक परिवार के सभी सदस्यों के घर आने और खाने-पीने के बाद सोते समय जलाया जाता है. इस दीप को जलाने के लिए पुराने दीपक का उपयोग किया जाता है. इसमें सरसों का तेल डाला जाता है. यह दीपक घर से बाहर दक्षिण की ओर मुख करके नाली या कूड़े के ढेर के पास रख दिया जाता है. ध्यान रखें कि इस दीपक को रखते हुए ‘मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह. त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यज: प्रीतयामिति।’ मंत्र का उच्चारण जरूर करें.
दिवाली के पावन पर्व के पहले धनतेरस होता है, धनतेरस पर जलाए जाने वाला दीप काफी महत्वपूर्व होता है. इसे धनतेरस की ही रात को घर के सबसे बुजुर्ग सदस्य जलाते हैं. इसके बाद उस दीपक को पूरे घर में घुमाकर उसे घर से बाहर कहीं दूर रख आते हैं. इस दौरान घर के अन्य सदस्य अंदर रहते हैं और इस दीये को नहीं देखते हैं. यह दीया यम का दीया कहलाता है. मान्यता है कि पूरे घर में इसे घुमाकर बाहर ले जाने से सभी नकारात्मक शक्तियां और बुराइयां दूर हो जाती हैं.
दीपावली की रात को घर में और घर के आसपास कई जगहों पर दीपक जलाकर रखे जाते हैं. इसी कड़ी में दीपावली की रात को देवालय में गाय के दूध का शुद्ध घी का दीपक जरूर जलाना चाहिए. मान्यता है कि इससे तुरंत ही कर्ज से राहत मिल जाती है और धन संबंधी परेशानियां भी दूर हो जाती हैं.
दीपावली की रात को दूसरा दिया लक्ष्मी पूजा के दौरान जलाएं. तीसरा दिया तुलसी के पास, चौथा दिया दरवाजे के बाहर, पांचवां दिया पीपल के पेड़ के नीचे, छठा दिया पास के किसी मंदिर में, सातवां कचरा रखने वाले स्थान पर, आठवां बाथरूम में, नौवां मुंडेर पर, दसवां दिवारों पर, ग्यारहवां खिड़की, बारहवां छत पर और तेरहवां किसी चौराहे पर. दीपावली पर पितरों और यम के लिए दीपदान करने के अलावा कुल देवी के नाम पर दीपक जलाना कतई न भूलें.
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