अध्यात्म: भगवान शिव शंकर जो भी चीजें धारण करते हैं उन सभी चीजों का बड़ा ही विशेष महत्त्व माना जाता है. उनके आभूषण से लेकर उनके वस्त्र सभी चीजों विचित्र स्वरुप है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनके धारण की हुई 10 सामग्रियों का राज, आइए जानते हैं आज…
जटाएं : शिव की जटाएं अंतरिक्ष का प्रतीक हैं।
चंद्र : चंद्रमा मन का प्रतीक है. शिव का मन चांद की तरह भोला, निर्मल, उज्ज्वल और जाग्रत है.
त्रिनेत्र : शिव की तीन आंखें हैं। इसीलिए इन्हें त्रिलोचन भी कहते हैं. शिव की ये आंखें सत्व, रज, तम (तीन गुणों), भूत, वर्तमान, भविष्य (तीन कालों), स्वर्ग, मृत्यु, पाताल (तीनों लोकों) का प्रतीक हैं.
सर्पहार : सर्प जैसा हिंसक जीव शिव के अधीन है. सर्प तमोगुणी व संहारक जीव है, जिसे शिव ने अपने वश में कर रखा है.
त्रिशूल : शिव के हाथ में एक मारक शस्त्र है. त्रिशूल भौतिक, दैविक, आध्यात्मिक इन तीनों तापों को नष्ट करता है.
डमरू : शिव के एक हाथ में डमरू है, जिसे वह तांडव नृत्य करते समय बजाते हैं. डमरू का नाद ही ब्रह्मा रूप है.
मुंडमाला : शिव के गले में मुंडमाला है, जो इस बात का प्रतीक है कि शिव ने मृत्यु को वश में किया हुआ है.
छाल : शिव ने शरीर पर व्याघ्र चर्म यानी बाघ की खाल पहनी हुई है. व्याघ्र हिंसा और अहंकार का प्रतीक माना जाता है. इसका अर्थ है कि शिव ने हिंसा और अहंकार का दमन कर उसे अपने नीचे दबा लिया है.
भस्म : शिव के शरीर पर भस्म लगी होती है. शिवलिंग का अभिषेक भी भस्म से किया जाता है. भस्म का लेप बताता है कि यह संसार नश्वर है.
वृषभ : शिव का वाहन वृषभ यानी बैल है। वह हमेशा शिव के साथ रहता है. वृषभ धर्म का प्रतीक है. महादेव इस चार पैर वाले जानवर की सवारी करते हैं, जो बताता है कि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष उनकी कृपा से ही मिलते हैं.
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