Tokyo Olympics 2020: अपने जेवर बेचकर बनवाईं थीं बेटी के कानों की बालियां, पदक लेते देख भावुक हुईं मीराबाई चानू की मां

भारतीय महिला स्टार वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलिंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। दरअसल, मीराबाई ने 49 किलोग्राम वर्ग में पदक अपने नाम किया। जिसके बाद सोशल मीडिया पर बधाइयों का तांता लग गया। इस दौरान उनकी मां सेखोम ओंग्बी तोम्बी लीमा के खुशी के आंसू रुक ही नहीं रहे हैं। पदक लेने के दौरान मीराबाई ने जो कानों में बालियां पहनी हैं, उसने सबका ध्यान अपनी तरफ खींच लिया। इसके बारे में कुछ खास बात उनकी मां ने मीडिया को बताई है।


कानों में वही बालियां देख भावुक हुई मां

जानकारी के मुताबिक, शनिवार को इस भारोत्तोलक के शानदार प्रदर्शन के दौरान उनके कानों में पहनी ओलंपिक के छल्लों के आकार की बालियों ने भी ध्यान खींचा, जो उनकी मां ने पांच साल पहले अपने जेवर बेचकर उन्हें तोहफे में दी थी। मीराबाई की मां को उम्मीद थी कि इससे उनका भाग्य चमकेगा। रियो 2016 खेलों में ऐसा नहीं हुआ, लेकिन मीराबाई ने शनिवार सुबह टोक्यो खेलों में पदक जीत लिया और तब से उनकी मां सेखोम ओंग्बी तोम्बी लीमा के खुशी के आंसू रुक ही नहीं रहे हैं।


लीमा ने बताया कि ‘मैं बालियां टीवी पर देखी थी, मैंने ये उसे 2016 में रियो ओलंपिक से पहले दी थी। मैंने मेरे पास पड़े सोने और अपनी बचत से इन्हें बनवाया था, जिससे कि उसका भाग्य चमके और उसे सफलता मिले। ‘इन्हें देखकर मेरे आंसू निकल गए और जब उसने पदक जीता तब भी। उसके पिता (सेखोम कृति मेइतेई) की आंखों में भी आंसू थे। खुशी के आंसू। उसने अपनी कड़ी मेहनत से सफलता हासिल की।’ मीराबाई को टोक्यो में इतिहास रचते हुए देखने के लिए उनके घर में कई रिश्तेदार और मित्र भी मौजूद भी मौजूद थे।”


मुश्किलों में बीता है बचपन

टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) ने इतिहास रच दिया। उन्होंने वेटलिफ्टिंग (Weightlifting) की 49 किलोग्राम कैटेगरी में सिल्वर जीत कर भारत को पहला मेडल दिला दिया। मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) आज कामयाबी की बुलंदियों पर है, लेकिन उनके लिए यहां तक का सफर आसान नहीं रहा है। मीराबाई का बचपन पहाड़ से जलावन की लकड़ियां बीनते बीता। वह बचपन से ही भारी वजन उठाने की मास्टर रही हैं।


मीराबाई चानून बजरंग बली और शिव भक्त हैं। उन्हें हनुमान चालीसा मुंह जुबानी याद है। दरअसल चार साल पहले रियो ओलंपिक की विफलता ने मीरा को हनुमान जी और भगवान शिव का भक्त बना दिया। रियो में उनके हाथ में पदक था लेकिन क्लीन एंड जर्क में वह एक भी लिफ्ट नहीं उठा सकीं। अब आलम ऐसा है कि चानू के जहां भी जाती हैं अपने साथ भगवान शिव और हनुमान जी की मूर्तिं जरूर मिलेगी। टोक्यो ओलंपिक में भी खेल गांव के कमरे में प्रवेश करते ही मीराबाई चानू ने सबसे पहले भगवान शिव और हनुमान जी स्थापित किया था, उसके बाद कोई दूसरा काम किया।


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