22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत को झकझोर कर रख दिया। इस बार भारत ने बिना समय गंवाए साफ कर दिया कि अब आतंकी घटनाओं पर सिर्फ कड़ी निंदा नहीं, बल्कि निर्णायक और कठोर कार्रवाई होगी। भारत की इस नई नीति ने पाकिस्तान की चिंता बढ़ा दी है।
पाकिस्तान की गुहार
भारत के बदले हुए तेवरों से घबराए पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मदद की अपील शुरू कर दी है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने चीन से लेकर कतर तक, हर सहयोगी देश से संपर्क साधा और भारत पर ‘सिंधु जल संधि को हथियार’ बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का रवैया क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा बनता जा रहा है।
Also Read- ‘पाकिस्तानियों को खोज-खोज कर बाहर निकालें…’, अमित शाह ने की सभी राज्यों के CM से बात
स्लोवेनिया से मदद की मांग
पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने स्लोवेनिया की विदेश मंत्री तानजा फाजोन से भी बात की और भारत के खिलाफ समर्थन मांगा। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री शरीफ की मुलाकात में भी भारत का ही ज़िक्र छाया रहा। दोनों नेताओं ने भारत के “आक्रामक रवैये” को पाकिस्तान की संप्रभुता के लिए खतरा बताया।
पाक सेना की चेतावनी भी डर के साये में
पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने भले ही भारत को ‘तेज और निर्णायक जवाब’ देने की बात कही हो, लेकिन सवाल यह है कि जब आतंकवादी गतिविधियां खुद पाकिस्तान की जमीन से संचालित होती हैं, तो जवाबदेही किसकी है?
भारत के सामने खोई पाकिस्तान की समझदारी
पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने भी वही पुराना तर्क दोहराया कि भारत के पास पुख्ता सबूत नहीं हैं। लेकिन अब दुनिया पाकिस्तान की बातों को गंभीरता से नहीं लेती। तरार ने माना कि भारत हमला कर सकता है, लेकिन अगर तैयारी पूरी है तो घबराहट क्यों? भारत अब साफ कर चुका है कि आतंकवाद के खिलाफ उसका जवाब सिर्फ शब्दों में नहीं, कार्रवाई में दिखाई देगा।