उत्तर प्रदेश के झांसी (Jhansi) कोतवाली में पोस्टेड दारोगा (Sub Inspector) संजीव जादौन को कुछ समय पहले दिल का दौरा पड़ा था. जैसे-तैसे वो इससे उबरे थे तो उन्हें ब्रेन हेमरेज हो गया. आर्थिक स्थिति सही नहीं न होने की वजह से वह अपना इलाज कराने में असमर्थ थे. ऐसे में दारोगा काफी चिंतित रहा करते थे. 3 दिन पहले मिनर्वा चौकी में दारोगा को दिल का दौरा पड़ा था. आनन-फानन में उन्हें इलाज के लिए ग्वालियर ले जाया गया था. हालत गंभीर होने पर उन्हें दिल्ली रेफर कर दिया गया था.
बुधवार की सुबह दिल्ली में इलाज के दौरान दारोगा ने दम तोड़ दिया. दारोगा की मौत के बाद उनके तबादले का आदेश आया, जिसमें उसे आगरा जोन स्थानांतरित किया गया था. मौत के बाद आए तबादले का आदेश पुलिस महकमे में दिनभर चर्चा का विषय बना रहा. बता दें दारोगा ने एक साल पहले अपने तबादले के आवेदन किया था.
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दरअसल, बुलंदशहर के रहने वाले दारोगा संजीव जादौन अपने गृह जनपद के आसपास तैनाती चाहते थे. जिसके लिए उन्होंने एक साल पहले तबादले के आवेदन किया था. मां की लंबे समय से तबीयत खराब होने की वजह से वो घर जाना चाहता था, ताकि वो मां की देखरेख कर सके. लेकिन, तमाम कोशिशों के बाद भी उसकी ये इच्छा पूरी नहीं हो पा रही थी. घर को लेकर भी दारोगा हर समय चिंतित रहता था.
वहीं, मृतक दारोगा संजीव जादौन के घर 3 महीने पहले हादसा हो गया था. कुछ लोगों ने दारोगा की मां पर हमला कर दिया था, जिसमें वो गंभीर रूप से घायल हो गईं थीं. इलाज में लंबा खर्च होने की वजह से दारोगा की माली हालत कमजोर हो गई थी. इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए दारोगा के पास खुद के इलाज के लिए पैसे नहीं बचे थे, जिसको लेकर पुलिसकर्मियों के बीच मुहिम चल गई थी. जिससे जितना हुआ, उसने उतना पैसा दारोगा के खाते में जमा कराया. केवल झांसी ही नहीं बल्कि बाहरी जिलों में तैनात पुलिसकर्मियों ने भी उनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाये. इसके अलावा जन सामान्य के लोग भी सहायता को आगे आए थे.
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