10 फीसदी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक से किया इनकार, कांग्रेस नेता ने दी है चुनौती

सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य वर्ग के गरीबों को 10% आरक्षण देने के कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई को 28 मार्च के लिए टाल दिया है. शीर्ष अदालत में केंद्र सरकार द्वारा संविधान संशोधन कर सामान्य वर्ग के गरीब तबकों को रोजगार और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने के खिलाफ कई याचिकाएं दाखिल की गई थी. इससे पहले पिछले महीने कोर्ट ने उच्च जातियों के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.


गौरतलब है कि इससे पहले कोर्ट ने याचिका तो स्वीकार कर ली थी, लेकिन संविधान संशोधन को लागू करने पर फिलहाल रोक लगाने से इन्कार कर दिया था. आरक्षण को लेकर कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला समेत अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.


बता दें कि आर्थिक आधार पर सवर्ण गरीबों को आरक्षण देने के फैसले को चुनौती पूनावाला से पहले जनहित अभियान और यूथ फॉर इक्वेलिटी जैसे संगठनों द्वारा भी चुनौती दी गई है. इस मामले में 25 जनवरी को, अदालत ने कहा था कि वह चार हफ्तों में कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगी.


कांग्रेस नेता पूनावाला का तर्क है कि आरक्षण के उद्देश्य के लिए पिछड़ेपन को ‘अकेले आर्थिक स्थिति’ द्वारा परिभाषित नहीं किया जा सकता है यूथ फॉर इक्वलिटी ने भी यही तर्क दिया है और आरोप लगाया है कि संशोधन बिल संविधान की मूल विशेषताओं का उल्लंघन करता है.


आपको बता दें कि मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को आरक्षण देने के लिए विधेयक पेश किया था, जिसे कुछ पार्टियों को छोड़कर कांग्रेस सहित तमाम विपक्ष ने समर्थन दिया था. इस विधेयक को लोकसभा ने तीन के मुकाबले 323 वोट से जबकि राज्यसभा ने सात के मुकाबले 165 वोट से पारित किया था. राज्य सभा ने 124वें संविधान संशोधन विधेयक को सात के मुकाबले 165 मतों से पारित किया था.सदन ने विपक्षी सदस्यों के पांच संशोधनों को अस्वीकार कर दिया. इससे पहले लोक सभा ने इसे पारित किया था.


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