सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता (एलओपी) व भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) की एक समिति का गठन करने का आदेश दिया।
चुनाव आयोग को कार्यपालिका से स्वतंत्र रहना होगा
न्यायमूर्ति केएम जोसफ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि यह समिति तब तक रहेगी जब तक संसद इस संबंध में कानून नहीं बना देती। शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि चुनाव आयोग को कार्यपालिका से स्वतंत्र रहना होगा।
पीठ ने कहा कि एक कमजोर चुनाव आयोग के परिणामस्वरूप कपटपूर्ण स्थिति पैदा होगी और आयोग की कुशलता प्रभावित होगी। शीर्ष अदालत का फैसला चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया में सुधार की सिफारिश करने वाली याचिकाओं की सुनवाई करते हुए आया है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि चुनाव आयोग निष्पक्ष और कानूनी तरीके से कार्य करने और संविधान के प्रावधानों का पालन करने के लिए बाध्य है। पीठ ने कहा कि लोकतंत्र लोगों की शक्ति के साथ जुड़ा हुआ है और एक आम आदमी के हाथों में शांतिपूर्ण बदलाव की सुविधा प्रदान करता है।
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