Monkeypox: किस उम्र के लोगों को है मंकीपॉक्स से ज्यादा खतरा ?, जानें इसके लक्षण और बचाव के सही तरीके

अभी तक दुनिया से कोरोना वायरस खत्म नहीं हुआ था कि अब मंकी पॉक्स ने आतंक मचाया शुरू कर दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है। बैठक में लंबी चर्चा के बाद WHO ने यह फैसला लिया। मंकीपॉक्स अब तक 80 देशों में फैल चुका है। हाल ही में भारत देश में कई मंकी पॉक्स से संक्रमित लोग सामने आए हैं। ऐसे में लोगों में डर बैठने लगा है। ऐसे में हम आपको अफवाहों से हटकर इस वायरस के बारे में सब कुछ सही बताने जा रहे हैं। इस खबर में आपको जानने को मिलेगा कि आखिर मंकी पॉक्स का प्रसार कैसे होता है ? इसके लक्षण क्या है? संक्रमित होने पर हमें क्या करना चाहिए ?

क्या है मंकी पॉक्स?

बता दें कि मंकीपॉक्स मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है। यह पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। मंकीपॉक्स से संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया था। यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होता है और कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में पहुंच जाता है। मंकीपॉक्स से ग्रसित मरीज आमतौर पर 45 साल से ज्यादा उम्र के होते हैं या फिर 45 साल से नीचे के लोग इस बीमारी की चपेट में ज्यादा आ रहे हैं, जिन्होंने चेचक का टीका अभी तक नहीं लिया है।

संक्रमण का प्रसार कैसे होता है?

जानकारी के मुताबिक, मंकीपॉक्स किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के निकट संपर्क के माध्यम से या वायरस से दूषित सामग्री के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है। ऐसा माना जाता है कि यह चूहों, चूहियों और गिलहरियों जैसे जानवरों से फैलता है। यह रोग घावों, शरीर के तरल पदार्थ, श्वसन बूंदों और दूषित सामग्री जैसे बिस्तर के माध्यम से फैलता है। यह वायरस चेचक की तुलना में कम संक्रामक है और कम गंभीर बीमारी का कारण बनता है। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इनमें से कुछ संक्रमण यौन संपर्क के माध्यम से संचरित हो सकते हैं। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वह समलैंगिक या उभयलिंगी लोगों से संबंधित कई मामलों की भी जांच कर रहा है।

ये हैं मंकी पॉक्स के लक्षण

-तेज बुखार
-त्वचा पर चकत्ते
-सिरदर्द
-मांसपेशियों में दर्द
-थकावट
-गले में खराश और खांसी
-आंख में दर्द या धुंधला दिखना
-सांस लेने में कठिनाई
-सीने में दर्द
-पेशाब में कमी
-बार-बार बेहोश होना
-दौरे पड़ना

बचाव के तरीके

मंकी पॉक्स का वायरस नाक, मुंह और आंख से शरीर में प्रवेश करता है, वर्तमान में लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनना छोड़ दिया है, यही कारण है कि ये वायरस फिर से अटेक करने लगा है, लोगों को इससे बचे रहने के लिए भीड़ भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचना चाहिए, कुछ भी चीज खाते-पीने से पहले साबुन से हाथ धोना चाहिए। ताकि इस वायरस से दूरी बनी रहे। बताया जाता है कि मंकी पॉक्स में शरीर पर घाव जैसे निशान हो जाते हैं, जिसमें से वायरस दूसरे लोगों के नाक, मुंह और आंख में प्रवेश कर जाता है।

क्या है मंकीपाक्स का इलाज

फिलहाल तो मंकीपाक्स का कोई इलाज नहीं है। लेकिन चेचक का टीका मंकीपाक्स को रोकने में 85 प्रतिशत प्रभावी साबित हुआ है। मंकीपाक्स को यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने इसे कम जोखिम वाला वायरस बताया है।

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