कमलनाथ के खिलाफ बग्गा ने खोला मोर्चा, बोले- दंगो के आरोपी को सीएम बनाना सिखों के जख्मों पर नमक छिड़कना है

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले कमलनाथ के विरोध में दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा पश्चिमी दिल्ली के तिलक नगर में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं. बग्गा ने आरोप लगाया है कि कमलनाथ सिख विरोधी दंगों में शामिल थे. मालूम हो कि तिलक नगर इलाके में 1984 के सिख विरोधी दंगों से प्रभावित कई परिवार रहते हैं.

 

तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने कहा कि कि ऐसा व्यक्ति जिस आरोप है कि 1984 में जो सिख नरसंहार हुआ. जिसने रकाबगंज साहेब की पवित्र भूमि को जलाने के काम किया. ये वो भूमि है जिसे हिंद की चादर कहा जाता है. जिन लोगों ने हिन्दू धर्म को बचाने के लिए अपना बलिदान दिया उनके गुरूद्वारे को जलाने का इन लोगों ने काम किया.

 

भाजपा प्रवक्ता ने कहा की मिश्रा कमीटी में भी कमलनाथ का नाम आया और संजय सूरी नाम के पत्रकार ने उनके खिलाफ गवाही भी दी. एक ऐसे व्यक्ति को अगर आप सीएम बनाते हैं तो यह सिखों के जख्मों पर नमक रगड़ने का काम हुआ है. इसलिए कांग्रेस पार्टी जब तक कमलनाथ को नहीं हटाती हम ऐसे ही अनशन पर बैठे रहेंगे.

 

देखिये भाजपा प्रवक्ता का हमला 

 

 

जानें कमलनाथ की सिख विरोधी दंगों में भूमिका 

आरोप है कि इन दंगों में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कमल नाथ, एचकेएल भगत, जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार ने दंगाइयों का नेतृत्व किया जिन्होंने सिखों को मारा और उनका सामान लूट लिया. दंगाई साफ़ तौर पर किसी के इशारों पर काम कर रहे थे और संगठित थे. इसके बाद पार्टी में कमलनाथ रॉकेट की तरह ऊपर उठे टाइटलर, भगत और सज्जन कुमार को बचाने की कोशिशें भी अच्छी तरह इतिहास में दर्ज है. पार्टी उन्हें चुनावों में उतारती रही और वे महत्वपूर्ण पदों पर काबिज़ रहे. अपने कर्तव्य का पालन करने में नाकाम रहे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई.

 

आम आदमी पार्टी के नेता और जाने माने वकील एचएस फूलका ने वर्ष 2006 में एक गवाह अदालत के सामने पेश किया जिसका नाम मुख्त्यार सिंह बताया जाता है. इस गवाह के बयान के आधार पर ही कमलनाथ का नाम सिख विरोधी दंगों से जुड़े मामलों में शामिल किया.

 

सिख दंगों के दौरान ऐतिहासिक गुरुद्वारा रकाबगंज को आग लगा दी गई थी. कमलनाथ पर आरोप है कि दिल्ली के रक़ाबगंज गुरुद्वारे पर हुए हमले में वो भी शामिल थे. हालांकि कांग्रेस राज में हुई एसआईटी जांच, रंगनाथ मिश्रा कमीशन जांच, नानावती कमीशन इन्क्वायरी में कमलनाथ के खिलाफ कोई आरोप साबित नहीं हो पाया. लेकिन सिख संगठन आज भी कमलनाथ पर ऊंगली उठाते हैं.

 

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