BJP के खिलाफ एक मंच पर आए ठाकरे बंधु, महाराष्ट्र में हिंदी थोपे जाने पर गरमाई राजनीति, विरोध तेज

शिवसेना (UBT) प्रमुख और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने राज्य में हिंदी भाषा को अनिवार्य रूप से लागू करने के प्रयासों का जोरदार विरोध किया है। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी महाराष्ट्र जैसे मराठी भाषी राज्य में ‘भाषाई आपातकाल’ लगाने की कोशिश कर रही है। ठाकरे का कहना है कि वह किसी भी भाषा के विरोध में नहीं हैं, लेकिन जबरन कोई भाषा थोपने की मानसिकता का कड़ा विरोध किया जाएगा।

त्रिभाषा फार्मूले को लेकर विरोध

ठाकरे ने केंद्र सरकार के त्रिभाषा फार्मूले और कक्षा 1 से 5 तक हिंदी पढ़ाने को लेकर राज्य सरकार की नीयत पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि भाजपा (BJP) का गुप्त एजेंडा हिंदी को थोपने का है और यह कदम राज्य की भाषाई विविधता और संस्कृति पर सीधा हमला है। उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान मराठी को सभी स्कूलों में अनिवार्य किया गया था, लेकिन हिंदी को अनिवार्य बनाने का कोई कदम नहीं उठाया गया।

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राज ठाकरे का भी सख्त विरोध

मनसे प्रमुख राज ठाकरे (Raj Thackeray) ने भी इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना की और 6 जुलाई को इस फैसले के खिलाफ मार्च निकालने की घोषणा की। उन्होंने साफ किया कि यह विरोध किसी पार्टी विशेष के मंच से नहीं होगा, बल्कि एक जनआंदोलन की तरह होगा, जिसमें लेखक, कलाकार और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की अस्मिता को कमजोर नहीं होने दिया जाएगा।

एकजुटता की अटकलों के बीच साझा मकसद

यह घटनाक्रम उस समय सामने आया है जब उद्धव और राज ठाकरे के एक बार फिर साथ आने की चर्चाएं तेज हो गई हैं। हालांकि, दोनों नेताओं ने सीधे तौर पर एकजुटता की पुष्टि नहीं की है, लेकिन हिंदी थोपे जाने के विरोध में उनकी समान राय इस दिशा में एक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। राज ठाकरे ने भी कहा कि इस आंदोलन में सभी दलों से संपर्क किया जाएगा क्योंकि यह सिर्फ एक राजनीतिक लड़ाई नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की पहचान की लड़ाई है।

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सरकार की सफाई

विवाद बढ़ने पर देवेंद्र फडणवीस ने सफाई देते हुए कहा कि हिंदी को अनिवार्य नहीं बनाया गया है, बल्कि यह एक वैकल्पिक भाषा के रूप में पढ़ाई जाएगी। राज्य सरकार ने संशोधित आदेश में स्पष्ट किया कि हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा, जबकि मराठी को अनिवार्य रखा गया है। इसके बावजूद विपक्षी दलों और नागरिक समाज का कहना है कि यह आदेश हिंदी को धीरे-धीरे अनिवार्य बनाने की दिशा में पहला कदम हो सकता है।

सार्वजनिक प्रदर्शन की तैयारी

शिवसेना (UBT) ने घोषणा की है कि वह 7 जुलाई को आजाद मैदान, मुंबई में होने वाले विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेगी, जिसका आयोजन नागरिक समाज द्वारा किया जा रहा है। इस प्रदर्शन का उद्देश्य त्रिभाषा फार्मूले और हिंदी थोपे जाने की नीति के खिलाफ एकजुट होकर आवाज़ उठाना है। ठाकरे ने एकनाथ शिंदे पर भी निशाना साधा और कहा कि जो बाल ठाकरे के नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें उनके विचारों को भी याद रखना चाहिए।

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