महाराष्ट्र के मालेगांव (Malegaon) में 29 सितंबर 2008 को हुए बम धमाके के 17 साल बाद NIA स्पेशल कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाते हुए सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया। इस मामले में बीजेपी की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर (Sadhvi Pragya Thakur) मुख्य आरोपी थीं। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। गौरतलब है कि इस विस्फोट में 6 लोगों की मौत हुई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे।
सोशल मीडिया के जरिए कांग्रेस पर साधा निशाना
भगवा आतंकवाद और हिन्दू आतंकवाद के जन्मदाता कांग्रेस सहित सभी विधर्मियों का मुंह हुआ काला..
भगवा ,हिंदुत्व और सनातन की विजय पर समस्त सनातनियों और देशभक्तों का हुआ बोलबाला बहुत-बहुत बधाई….
जय हिन्दूराष्ट्र, जय श्री राम…— Sadhvi Pragya Singh Thakur (@sadhvipragyag) August 1, 2025
कोर्ट के फैसले के बाद साध्वी प्रज्ञा ने शनिवार को अपने सोशल मीडिया अकाउंट से प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा,’भगवा आतंकवाद और हिंदू आतंकवाद का झूठ फैलाने वालों का चेहरा बेनकाब हो गया है। कांग्रेस (Congress) सहित सभी विधर्मियों का मुंह काला हुआ है। भगवा, हिंदुत्व और सनातन की विजय हुई है।’ उन्होंने इस फैसले को सत्य की जीत बताया और देशवासियों को बधाई दी।
कोर्ट में भावुक हुईं साध्वी प्रज्ञा
कोर्ट में फैसले के बाद साध्वी प्रज्ञा भावुक हो गईं। उन्होंने कहा, “मैं एक संन्यासी जीवन जी रही थी, लेकिन मुझे आतंकवादी बनाकर पेश किया गया। मुझे 13 दिनों तक टॉर्चर किया गया और कई सालों तक अपमान सहना पड़ा। मैंने 17 साल तक लगातार संघर्ष किया है। इस मामले में भगवा को बदनाम करने की साजिश की गई थी।”
विवादित मोटरसाइकिल बना था जांच का आधार
जांच एजेंसियों के अनुसार, धमाके में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा के नाम पर थी। इसी आधार पर उन्हें 23 अक्टूबर 2008 को गिरफ्तार किया गया था। कई वर्षों की सुनवाई और जांच के बाद 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी थी। इसके बाद से यह मामला कोर्ट में लंबित था।
कोर्ट का फैसला
इस मामले में फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि किसी भी आतंकी घटना को किसी धर्म से जोड़ना उचित नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सबूतों के अभाव में किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। यह फैसला देश में ‘भगवा आतंकवाद’ जैसे शब्दों की वैधता पर भी सवाल खड़े करता है और न्यायपालिका की निष्पक्षता को दर्शाता है।