उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के स्टाम्प एवं पंजीयन विभाग (Stamp and Registration Department)
में हाल ही में हुए बड़े पैमाने पर तबादलों ने राज्य की सियासत में हलचल मचा दी है। इस मामले में भारी अनियमितताओं और पक्षपात की शिकायतों के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने तुरंत प्रभाव से तबादलों पर रोक लगा दी और पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। सरकार ने इस कदम को पारदर्शिता की दिशा में महत्वपूर्ण बताया है, लेकिन विपक्ष इसे भ्रष्टाचार का खुला उदाहरण करार दे रहा है।
अखिलेश यादव का सरकार पर तंज
समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhikesh Yadav) ने इस मुद्दे पर सरकार पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, जिसको ट्रांसफर में नहीं मिला हिस्सा, वही राज खोल के सुना रहा है किस्सा। उन्होंने आरोप लगाया कि कई मंत्रियों ने ट्रांसफर की फाइलें इसलिए लौटा दीं क्योंकि उन्हें फीस नहीं मिली। उन्होंने सरकार पर ट्रांसफर-पोस्टिंग के जरिए अवैध उगाही और सत्ता के अंदर संघर्ष का आरोप लगाया।
मंत्री रविंद्र जायसवाल की दो टूक चेतावनी
उत्तर प्रदेश में तबादलों के खेल पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव @yadavakhilesh का योगी सरकार पर निशाना 👇👇 pic.twitter.com/U7OekqowNw
— Awanish M Vidyarthi (@awanishvidyarth) June 19, 2025
स्टाम्प एवं पंजीयन मंत्री रविंद्र जायसवाल ने विभाग में गड़बड़ियों की पुष्टि करते हुए बताया कि बिना किसी चर्चा के आयुक्त स्तर से ट्रांसफर की लिस्ट जारी कर दी गई थी। उन्होंने कहा कि लिस्ट में गंभीर कमियां पाई गई हैं जैसे इंटर पास कर्मचारियों को रजिस्ट्रार जैसे बड़े पदों पर तैनात करना और जिनके खिलाफ शिकायतें थीं, उनका बड़े जिलों में तबादला कर देना। मंत्री ने साफ किया कि जो भी सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाएगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा।
सीएम योगी ने दिए जांच के सख्त आदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए न केवल तबादलों पर रोक लगाई, बल्कि उच्चस्तरीय जांच के निर्देश भी दिए हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि ट्रांसफर प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और मेरिट आधारित होनी चाहिए। किसी भी अधिकारी को उसके प्रभाव के आधार पर फायदा नहीं मिलना चाहिए। दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, चाहे वह कितना भी बड़ा अधिकारी क्यों न हो।
सियासत गर्म
इस पूरे घटनाक्रम के बाद यूपी की सियासत गरमा गई है। जहां सत्तापक्ष इसे सुधार की दिशा में उठाया गया कदम बता रहा है, वहीं विपक्ष इसे भ्रष्टाचार और सत्ता संघर्ष की पोल खोलने वाला मामला मान रहा है। अब सबकी निगाहें इस जांच की रिपोर्ट और मुख्यमंत्री के अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।