Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 की तैयारियों को लेकर प्रयागराज के घाटों का कायाकल्प तेज़ी से चल रहा है। योगी सरकार ने बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी के मॉडल पर, कुंभ नगरी प्रयागराज के गंगा और यमुना घाटों का पुनरोद्धार करने का संकल्प लिया है। यह कार्य अब अंतिम चरण में है और 30 नवंबर 2024 तक पूरा होने की संभावना है।
11.01 करोड़ रुपये से हो रहा घाटों का कायाकल्प
जल निगम के कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन डिवीजन द्वारा 11.01 करोड़ रुपये की लागत से गंगा और यमुना नदी के सात प्रमुख घाटों का सौंदर्यीकरण और सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। प्रोजेक्ट के प्रबंधक, रोहित कुमार राणा के अनुसार, इन घाटों का कार्य लगभग पूरा हो चुका है और महाकुंभ के लिए इनका रूप पूरी तरह से बदल जाएगा।
कौन-कौन से घाट हो रहे हैं पुनर्निर्मित?
गंगा और यमुना नदी के जिन सात घाटों का कायाकल्प किया जा रहा है, उनमें बलुआ घाट, कालीघाट, रसूलाबाद घाट, छतनाग घाट (झूंसी), नागेश्वर घाट (झूंसी), मौज गिरी घाट और पुराना अरैल घाट शामिल हैं। इनमें से अधिकांश घाटों पर कार्य 80 से 90 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है।
बलुआ घाट – 80%
कालीघाट – 85%
रसूलाबाद घाट – 80%
छतनाग घाट – 90%
नागेश्वर घाट – 85%
मौज गिरी घाट – 90%
पुराना अरैल घाट – 93%
नई सुविधाओं का विस्तार
महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए इन घाटों पर कई आधुनिक सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। घाटों को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए हरित पट्टी का भी विकास किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, छतरी, हाईमास्ट लाइट्स, पेयजल सुविधा, आरओ वाटर, स्वच्छ पानी की व्यवस्था, सचल टॉयलेट, चेंजिंग रूम, और बैठने के लिए बेंच जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
यूपी सरकार का लक्ष्य है कि महाकुंभ के दौरान इन घाटों पर श्रद्धालुओं को एक बेहतरीन अनुभव मिले और वे यहां अधिक समय बिता सकें।
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