ऋषि मुनियों के इन मंत्रों से कई स्त्रियों ने पा लिया था चिर यौवन, ये है उच्चारण का सही तरीका

आध्यत्म: हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार कई लोगों का मानना है की आज भी इसमें कई राज छुपे हुए हैं. कहा जाता है कि भारत के अधिकांशतः हिन्दू धर्म ग्रंथो को पुर्तगालियों ने जला दिया था. जब वे भारत से लौटकर अपने देश गये तो कई शास्त्र ऐसे थे, जिन्हे वे अपने साथ ले गये. ऐसा कहा जाता है की प्राचीन काल में भारत के ऋषि मुनियों ने ऐसी शक्तियां विकसित कर ली थी. जो काफी विचित्र थी. जिससे किसी व्यक्ति को सदैव यौवन की अवस्था में रखा जा सकता था.


इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि, ऐसा कहा जाता है की यदि एक निश्चित समय और कालग्रह का योग बनने पर इन मंत्रो का उपयोग किया जाए तो कोई भी व्यक्ति चिरंजीवी हो सकता है. इतिहास में ऐसी बहुत सी रानियां थी. जिन्होंने इस मंत्र का उपयोग किया और चिर यौवन को प्राप्त हुई. लेकिन इस मंत्र से वही व्यक्ति यौवन को प्राप्त होता है जो निश्चित काल ग्रह के समय ही जन्मा हो. चलिए इस मंत्र को जाने, हो सकता है की आप भी अपनी खोई हुई जवानी को प्राप्त कर ले.


लेकिन इतिहास में अभी तक कुछ रानियों ने ही इसका प्रयोग किया था. जिसके बाद वे पुनः जवान हो गयी थी. इसलिए यह भी संभव है की किसी पुरुष को इस मंत्र का लाभ ना मिले. लेकिन स्त्रियों को शतप्रतिशत इसका लाभ मिलेगा. शास्त्रों में दो मंत्र बताये गये है. लेकिन हम आपको सिर्फ एक ही मंत्र बता रहे है. क्योंकि यह उच्चारण में सरल और सुरक्षा की दृष्टि से भी आसान है.


“ॐ एँ सोन्दर्यं सिद्धि एँ ॐ”


यह मंत्र काफी प्रभावशाली है जिसे हम प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त पर ही करना चाहिए. क्योंकि इस समय यह मंत्र अधिक प्रभावी रहेगा. इस मंत्र का उपयोग करते समय अपना मुख उत्तर दिशा में रखना चाहिए. क्योंकि ऐसा कहा जाता है इस ओर भगवान आशुतोष विराजमान रहते है. जिससे आपकी मनोकामना शीघ्र ही पूर्ण होगी. जिससे आपको अधिक इन्तजार नहीं करना पड़ेगा और आपके चेहरे पर काफी निखार आ जायेगा.


मंत्र जाप की सावधानियाँ-


  1. इस मंत्र का उपयोग गुरूवार से प्रारम्भ करते हुये, 9 दिनों तक करें
  2. इस मंत्र को करते समय आपके सामने से कोई भी व्यक्ति नहीं गुजरना चाहिए
  3. इस मंत्र का उपयोग माला के साथ करें
  4. अपने कार्य को गुप्त रखते हुये यह कर्म करें
  5. इन दिनों में क्रोध का विकार अपने मन में ना लाये
  6. इन दिनों मांस-मदिरे का सेवन नहीं करना चाहिए
  7. मंत्र का अनुकूल प्रभाव स्वयं पर हो, इसलिए किसी महाज्ञानी ब्राह्मण की सहायता अवश्य लेनी चाहिए
  8. किसी आवेश में आकर इस मंत्र का प्रयोग ना करें
  9. किसी भी कीमत पर रात्रि में इस मंत्र का जाप ना करें

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