आज नवरात्र का पहला दिन है। माना जाता है कि नवरात्र में देवी मां की पूजा-अर्चना करने से देवी दुर्गा की खास कृपा होती है। इस साल चैत्र नवरात्र का त्योहार 2 अप्रैल यानी कि आज से शुरू होकर 11 अप्रैल तक मनाया जाएगा। इन नौ दिनों में सच्चे मन से अर्चना करने वालों की मनोकामना मां दुर्गा जरूर पूरी करती है। आज पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा होनी है। आइए आपको बताते हैं कि माता शैलपुत्री का विधि मंत्र और भोग लगाने का तरीका क्या होता है? कैसे कर सकते हैं मां शैलपुत्री को प्रसन्न जानें यहां।
मां शैलपुत्री का स्वरूप :
माता आदि शक्ति ने अपने इस रूप में शैल हिमालय के घर जन्म लिया था, इसी कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। शैलपुत्री नंदी नाम के वृषभ पर सवार होती हैं और इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प होता है ।
मां शैलपुत्री का भोग :
मां शैलपुत्री के चरणों में गौघृत अर्पित करने से भक्तों को आरोग्य और दीर्घ आयु का आशीर्वाद मिलता है और उनका मन एवं शरीर दोनों ही निरोगी रहता है।इसके साथ ही गौघृत का अखंड दीपक भी जलाते हैं
मां शैलपुत्री का मंत्र :
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
पूजा विधि:
नवरात्रि के पहले दिन प्रात:काल उठकर स्नानादि से निवृत होकर स्वच्छ कपड़े पहनें। फिर एक चौकी पर देवी दुर्गा की प्रतिमा और कलश स्थापित करें। फिर मां शैलपुत्री का ध्यान कर व्रत का संकल्प करें। मां शैलपुत्री को सफेद रंग की वस्तुएं काफी प्रिय हैं, इसलिए चंदन-रोली से टीका कर मां की प्रतिमा पर सफेद वस्त्र और सफेद फूल चढ़ाने चाहिए। साथ ही सफेद रंग की मिठाई का भोग भी मां को बेहद ही पसंद आता है। बाद में शैलपुत्री माता की कथा करें और दुर्गा सप्शती का पाठ करें। इसके बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करें। बाद में मां की आरती करें औ मां से आशीर्वाद मांगे।
आशीर्वाद :
माता शैल पुत्री के आशीवार्द से विचारो में गम्भीरता आती है और हर तरह की बीमारी दूर होती है , दीर्घ आयु का आशीर्वाद मिलता है । साधक आत्मविश्वास की जाग्रति भी होती है |
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