योगी सरकार (Yogi Sarkar) अवैध धर्मांतरण (illegal conversion)के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए लगातार कड़ी कार्रवाई कर रही है। हाल ही में पुलिस ने जलालुद्दीन उर्फ़ छांगुर (Changur) के खिलाफ एक बड़े धर्मांतरण रैकेट (Conversion Racket) का पर्दाफाश किया था, और अब एक और बड़े गिरोह का खुलासा हुआ है, जो अवैध रूप से धर्मांतरण कराने में लिप्त था। यह गिरोह युवतियों को बहला-फुसलाकर, लालच देकर और कट्टरपंथी विचारधारा के प्रभाव में लाकर उनका जबरन धर्मांतरण कराने का काम कर रहा था। पुलिस ने इस रैकेट को ध्वस्त करते हुए अलग-अलग राज्यों से 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
पुलिस जांच में खुलासा
पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि इस अवैध रैकेट को कनाडा, अमेरिका और दुबई जैसे देशों से करोड़ों रुपये की फंडिंग हो रही थी। इस पैसे का इस्तेमाल धार्मिक कट्टरता फैलाने और युवतियों को धर्मांतरण के लिए प्रेरित करने में किया जा रहा था। डीजीपी राजीव कृष्ण ने बताया कि इस गिरोह की कार्यशैली आतंकी संगठन आईएसआईएस जैसी थी, जिसमें सोशल मीडिया, डार्क वेब और खास ऐप्स का उपयोग कर युवाओं को कट्टर विचारधारा की ओर मोड़ा जाता था।
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छह राज्यों में दबिश
आगरा से लापता बहनों की जांच की कमान पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार को दी गई, जिन्होंने सात टीमें बनाकर मामले की तह तक जाने का निर्देश दिया। साइबर सेल और सर्विलांस की मदद से पुलिस को अहम सुराग मिले। कोलकाता से दोनों बहनों को सुरक्षित बरामद कर लिया गया और उनकी जानकारी के आधार पर छह अलग-अलग राज्यों में छापेमारी की गई। इस दौरान गोवा, कोलकाता, दिल्ली, देहरादून, जयपुर और मुजफ्फरनगर से 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
धार्मिक संगठनों और आतंकी नेटवर्क से कथित संबंध
पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि इस गिरोह के तार पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया), एसडीपीआई और पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से जुड़े हो सकते हैं। शुरुआती सबूतों से यह संकेत मिल रहे हैं कि इन आरोपियों को संगठित और योजनाबद्ध ढंग से धर्मांतरण के लिए प्रशिक्षित किया गया था। इससे पहले भी मिशन अस्मिता के तहत मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती जहांगीर आलम कासमी जैसे प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों के नाम
इस मामले में जिन 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें आयशा उर्फ एस.बी. कृष्णा (गोवा), अली हसन उर्फ शेखर रॉय और ओसामा (कोलकाता), रहमान कुरैशी (आगरा), अब्बू तालिब (मुजफ्फरनगर), अबुर रहमान (देहरादून), मोहम्मद अली और जुनैद कुरैशी (जयपुर), मुस्तफा उर्फ मनोज (दिल्ली) और एक अन्य मोहम्मद अली (जयपुर) शामिल हैं। पुलिस और एटीएस अब इस पूरे नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही है।यूपी सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत यह कार्रवाई अवैध धर्मांतरण और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के खिलाफ एक और कड़ा कदम माना जा रहा है।