UP: आयकर विभाग की बड़ी कार्रवाई, टैक्स छूट के नाम पर बड़ा घोटाला, राजनीतिक चंदे की आड़ में करोड़ों की लूट का पर्दाफाश

आयकर विभाग (Income Tax Department) ने सोमवार को एक संगठित टैक्स धोखाधड़ी नेटवर्क के खिलाफ देशव्यापी अभियान छेड़ते हुए यूपी समेत कई राज्यों में 200 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, वाराणसी, अमरोहा, मुरादाबाद, गोंडा और सुल्तानपुर में की गई। अधिकतर छापे टैक्स अधिवक्ताओं, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और बिचौलियों के ठिकानों पर मारे गए। जांच का आधार एआई टूल्स की मदद से जुटाए गए वित्तीय आंकड़ों और खुफिया जानकारी पर आधारित था।

एमएनसी और सरकारी कर्मचारियों की संलिप्तता

जांच के दौरान आयकर विभाग को इस फर्जीवाड़े में बहुराष्ट्रीय कंपनियों, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों, सरकारी निकायों और शैक्षणिक संस्थानों के अधिकारियों व कर्मचारियों की संलिप्तता के पुख्ता प्रमाण मिले हैं। इन व्यक्तियों ने संगठित गिरोह की मदद से आयकर रिटर्न में फर्जी छूट व कटौती दिखाकर टैक्स रिफंड हासिल किया।

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आयकर रिटर्न तैयार करने वालों का गठजोड़ उजागर

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के अनुसार, इस अभियान के तहत महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, पंजाब, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में की गई तलाशी में ऐसे रैकेट का खुलासा हुआ जो पेशेवर रूप से फर्जी आईटीआर दाखिल करते थे। ये गिरोह झूठे टीडीएस क्लेम के जरिए अत्यधिक टैक्स रिफंड का दावा कर रहे थे।

राजनीतिक चंदा और मेडिकल क्लेम भी शामिल

जांच में यह भी पाया गया कि मकान किराया भत्ता, राजनीतिक दलों को दान, शिक्षा ऋण पर ब्याज, चिकित्सा बीमा, आवास ऋण और इलेक्ट्रिक वाहन पर मिलने वाली टैक्स छूटों का गलत इस्तेमाल किया गया। यहां तक कि गंभीर बीमारियों के इलाज पर मिलने वाली राहत और धर्मार्थ संगठनों को दान देने की आड़ में भी फर्जी कटौतियां दिखाकर रिफंड हासिल किया गया।

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शिक्षक व अधिवक्ता की भूमिका संदेह में

सुल्तानपुर में प्राथमिक शिक्षक राम जनम यादव और शिक्षिका विमलेश से आठ घंटे पूछताछ की गई। उनके घर से फर्जी आईटीआर दस्तावेज बरामद हुए। सूत्रों के मुताबिक, राम जनम करीब दो दशक से इस रैकेट से जुड़ा था और कमीशन लेकर दूसरों के लिए फर्जी रिटर्न दाखिल करता था। गोंडा में एक वकील के कार्यालय में 15 घंटे तक तलाशी चली, जहां आयकर और जीएसटी से जुड़े अहम दस्तावेज मिले।

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