UP: बाहुबली विधायक अभय सिंह को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, 15 साल पुराना केस खत्म

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बाहुबली विधायक अभय सिंह (Abhay Singh) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने उनके खिलाफ दर्ज 15 साल पुराने जानलेवा हमले के केस में विशेष अनुमति याचिका (SLP) खारिज कर दी है। जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की डबल बेंच ने लखनऊ हाईकोर्ट के बहुमत वाले फैसले को बरकरार रखा। कोर्ट ने कहा कि दो जज पहले ही इस पर निर्णय दे चुके हैं, ऐसे में मामले की दोबारा सुनवाई की कोई ज़रूरत नहीं है।

2010 में दर्ज हुआ था हमला, अब खत्म हुआ कानूनी संघर्ष

अभय सिंह पर यह मामला 2010 में अयोध्या के महाराजगंज थाना क्षेत्र में दर्ज हुआ था। शिकायतकर्ता विकास सिंह ने आरोप लगाया था कि उन पर हथियारों से हमला किया गया, जिसमें अभय सिंह समेत कई लोग शामिल थे। लेकिन केस में बयानों की विरोधाभासी स्थिति के चलते मामला पेचीदा हो गया और बाद में यह अंबेडकरनगर कोर्ट में ट्रांसफर हुआ।

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13 साल बाद कोर्ट ने किया बरी, हाईकोर्ट में दो राय

2023 में अंबेडकरनगर की अदालत ने अभय सिंह को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। विकास सिंह ने इस फैसले को लखनऊ हाईकोर्ट में चुनौती दी, जहां दो जजों की अलग-अलग राय सामने आई। एक जज ने उन्हें दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई, जबकि दूसरे ने उन्हें निर्दोष माना। इसके बाद मामला तीसरे जज जस्टिस राजन राय के पास गया, जिन्होंने अभियोजन की दलीलों को कमजोर मानते हुए अभय सिंह को बरी कर दिया।

राजनीति में हलचल, बीजेपी में जाने की अटकलें तेज

सिर्फ कोर्ट ही नहीं, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी अभय सिंह चर्चा में हैं। फरवरी 2024 में राज्यसभा चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी की अधिकृत लाइन से हटकर बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया था। इसके बाद पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया। अब जब सुप्रीम कोर्ट से उन्हें क्लीन चिट मिल गई है, तो उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें और तेज हो गई हैं।

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कानूनी राहत से मजबूत हुई राजनीतिक जमीन

अदालत से राहत मिलने के बाद अभय सिंह की राजनीतिक स्थिति और मजबूत होती दिख रही है। हाईकोर्ट के फैसले में कहा गया था कि FIR में समय, हमलावरों की संख्या और हथियारों को लेकर स्पष्टता नहीं थी। साथ ही पीड़ित पक्ष के बयान भी लगातार बदलते रहे, जिससे अभियोजन पक्ष अपने आरोपों को साबित नहीं कर सका। अब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद उनके लिए नई राजनीतिक राह खुल सकती है।

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