UP: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में रियल एस्टेट की दुनिया में बड़ा खुलासा हुआ है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रोहतास ग्रुप (Rohtas Group) और लखनऊ की एलजेके (Lala Jugal Kishore) कम्पनी की मिलीभगत से किए गए करोड़ों रुपये के फर्जी सौदों का पर्दाफाश किया है। जांच एजेंसी ने एलजेके कम्पनी द्वारा रोहतास ग्रुप से खरीदी गई 250 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की सम्पत्तियां जब्त कर ली हैं। बताया जा रहा है कि वर्ष 2020 में, जब रोहतास ग्रुप के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट लगाने की कार्रवाई शुरू हुई थी, तभी इन सम्पत्तियों की बिक्री का खेल शुरू किया गया था।
कम कीमत दिखाकर करोड़ों का सौदा
ईडी की जांच में यह सामने आया है कि रोहतास ग्रुप ने अपनी महंगी सम्पत्तियां बेहद कम कीमत पर बेचीं। जिन सम्पत्तियों की वास्तविक कीमत करीब 200 करोड़ रुपये थी, उनकी रजिस्ट्री मात्र 25-30 करोड़ रुपये में दिखाई गई। अधिकारियों को संदेह है कि बाकी रकम नकद या अन्य माध्यमों से दी गई। ईडी अब इस सौदे में स्टाम्प शुल्क चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के पहलुओं की भी जांच कर रही है।
पांच सम्पत्तियों की जब्ती और एलजेके से पूछताछ
जांच में सामने आया है कि रोहतास ग्रुप की पांच प्रमुख सम्पत्तियों की मौजूदा कीमत 250 करोड़ रुपये से अधिक है। जब ईडी ने एलजेके कम्पनी के संचालक एके रस्तोगी से इस सौदे के बारे में पूछताछ की, तो वह संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। इसके बाद ईडी ने लखनऊ के सीतापुर रोड, सुलतानपुर रोड और अन्य क्षेत्रों में स्थित इन पांच सम्पत्तियों को जब्त कर लिया।
रोहतास ग्रुप पर 50 से अधिक एफआईआर दर्ज
लखनऊ में रोहतास ग्रुप के निदेशकों परेश रस्तोगी, पीयूष रस्तोगी, पंकज रस्तोगी और दीपक रस्तोगी के खिलाफ हजरतगंज, विभूतिखंड और गोमतीनगर समेत कई थानों में 50 से अधिक एफआईआर दर्ज हैं। इन पर आरोप है कि 2011 से 2013 के बीच रायबरेली और सुलतानपुर रोड पर हाईटेक टाउनशिप का झांसा देकर सैकड़ों निवेशकों से करोड़ों रुपये की ठगी की गई। इन निदेशकों पर पहले ही गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जा चुकी है, और अब ईडी की यह कार्रवाई इस घोटाले के नए पहलू को उजागर करती है।















































