बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती (Mayawati) ने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने कहा समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का छोटे दलों के साथ चुनाव लड़ना महालाचारी है। बसपा मुखिया ने कहा कि समाजवादी पार्टी की घोर स्वार्थी, संकीर्ण व खासकर दलित विरोधी सोच एवं कार्यशैली आदि के कड़वे अनुभवों तथा इसकी भुक्तभोगी होने के कारण देश की अधिकतर बड़ी व प्रमुख पार्टियां चुनाव में इनसे किनारा करना ही ज्यादा बेहतर समझती हैं। यह तो सर्वविदित है।
मायावती ने कहा कि इसी कारण उत्तर प्रदेश के होने वाले विधानसभा के आमचुनाव अब यह पार्टी किसी भी बड़ी पार्टी के साथ नहीं बल्कि छोटी पार्टियों के गठबंधन के सहारे ही लड़ेगी। कहा कि समाजवादी पार्टी का ऐसा कहना व करना महालाचारी नहीं है तो और क्या है। पंजाब में विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन कर उतरने वाली मायावती ने उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड में अकेले ही विधानसभा चुनाव लडने का एलान किया है।
बता दें कि सोशल मीडिया पर एक्टिव मायावती लगातार ट्विटर के जरिए भाजपा, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पर हमला बोलती रहती हैं। इससे पहले गुरुवार को उन्होंने रोजगार के मुद्दे पर भाजपा सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि देश में बेरोजागारी के लिए भाजपा के साथ ही लंबे अरसे तक शासन करने वाली कांग्रेस भी बराबर की जिम्मेदार है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने गुरुवार को सिलसिलेवार तीन ट्वीट किए। उन्होंने कहा कि यूपी व पूरे देश भर में करोड़ों युवा व शिक्षित बेरोजगार लोग सड़क किनारे पकौड़े बेचने व अपने जीवनयापन के लिए मजदूरी आदि करने को भी मजबूर हैं तथा उनके मां-बाप व परिवार जो यह सब देख रहे हैं उनकी व्यथा को समझा जा सकता है, जो यह दुःखद, दुर्भाग्यपूर्ण व अति-चिन्ताजनक है।
मायावती ने कहा कि बीएसपी देश में नौजवानों के लिए ऐसी भयावह स्थिति पैदा करने के लिए केन्द्र में बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस को भी बराबर की जिम्मेदार मानती है जिसने लम्बे अरसे तक यहां एकछत्र राज किया व अपने कार्यकलापों की भुक्तभोगी बनकर कांग्रेस केन्द यूपी व काफी राज्यों की भी सत्ता से बाहर हो गई।
बसपा चीफ ने कहा कि अगर बीजेपी भी, कांग्रेस पार्टी के नक्शेकदम पर ही चलती रही तो फिर इस पार्टी की भी वही दुर्दशा होगी जो कांग्रेस की हो चुकी है, जिसपर बीजेपी को गम्भीरता से जरूर सोचना चाहिये क्योंकि इनकी ऐसी नीति व कार्यकलापों से न तो जनकल्याण और न ही देश की आत्मनिर्भरता संभव हो पा रही है।
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