सपा नेत्री जूही प्रकाश (SP Leader Juhi Prakash) को उनके पति द्वारा गंभीर आरोपों में दर्ज मामले में कोई राहत नहीं मिली है। विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावी क्षेत्र रविकांत ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी आदर्श चौधरी और वादी के अधिवक्ता योगेश गौतम ने जमानत का विरोध करते हुए कोर्ट में जूही प्रकाश का आपराधिक इतिहास भी पेश किया।
पति ने दर्ज कराया गंभीर मामला
जूही प्रकाश के पति योगेंद्र प्रताप सिंह ने उनके खिलाफ सितंबर में थाना सिकंदरा में गंभीर आरोपों के तहत मामला दर्ज कराया था। पति का आरोप है कि जूही से उनकी मुलाकात फेसबुक के माध्यम से हुई थी, जब वह दिल्ली में सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे थे। जूही ने भी सिविल सर्विसेज की तैयारी का दावा किया और इसी दौरान उन्हें अपने जाल में फंसा लिया।
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आर्थिक शोषण और धमकियों का आरोप
वादी का कहना है कि जब उन्होंने जूही से दूरी बनाने की कोशिश की, तो उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाने की धमकी दी गई। पति का यह भी आरोप है कि जूही ने नगर निगम के मेयर पद के चुनाव के दौरान उनसे 50 लाख रुपये की मांग की, और मना करने पर लगातार धमकियां दीं। आखिरकार, उन्हें 35 लाख रुपये देने को मजबूर होना पड़ा।
हमला और गंभीर चोट का आरोप
पति ने यह भी आरोप लगाया कि 10 अगस्त और 17 सितंबर को जूही ने उन पर शारीरिक हमला किया। पहली घटना में जूही ने उनके सिर पर बोतल मारी, जबकि दूसरी घटना में टूटी हुई बोतल से उनकी पीठ पर हमला करने की कोशिश की, जिससे पति को गंभीर चोटें आईं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
जमानत याचिका पर सुनवाई
जूही प्रकाश ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट में आवेदन किया था और पति पर गंभीर आरोप लगाए थे। हालांकि, अभियोजन पक्ष ने इसका विरोध करते हुए जूही का पूर्व आपराधिक इतिहास भी अदालत के सामने रखा, जिसके आधार पर न्यायाधीश ने जमानत याचिका खारिज कर दी।
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