Cough Syrup Case: उत्तर प्रदेश में प्रतिबंधित कफ सिरप की अवैध तस्करी का एक विशाल सिंडिकेट सामने आया है, जिसने महज कुछ वर्षों में 2000 करोड़ रुपये का काला कारोबार खड़ा कर लिया। जांच एजेंसियों के अनुसार, इस नेटवर्क की गहराई और करोड़ों रुपये के लेन-देन देखकर अधिकारी भी हैरान हैं। अभी जांच जारी है और संभावना है कि आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।
तस्करी का बहुराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय विस्तार
जांच में पता चला है कि सिंडिकेट की गतिविधियां उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, झारखंड सहित कई राज्यों में फैली थीं। पश्चिम बंगाल सीमा के रास्ते बांग्लादेश तक कफ सिरप की अवैध सप्लाई भेजी जाती थी। ईडी ने एसटीएफ, पुलिस और अन्य एजेंसियों द्वारा अब तक की गई कार्रवाई के सभी रिकॉर्ड मंगाए हैं, ताकि इस पूरे नेटवर्क की कड़ियों को एक जगह जोड़ा जा सके।
फर्जी कंपनियों का जाल
जांच अधिकारियों के अनुसार, मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल के बैंक खातों, फर्जी कंपनियों और उनसे जुड़ी फर्मों में हुए लेन-देन ने सबसे अधिक चौंकाया है। फर्जी दस्तावेजों और बेनामी खातों का उपयोग कर कफ सिरप की बड़ी खेपें भेजी जाती थीं। पुलिस अब तक सौ से अधिक बैंक खातों और कई संपत्तियों की जांच कर चुकी है।
एक दर्जन से अधिक लोगों का सिंडिकेट से कनेक्शन
सूत्रों के मुताबिक, इस पूरी तस्करी में शुभम जायसवाल, अमित टाटा, बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह, जौनपुर निवासी विशाल सहित एक दर्जन से ज्यादा लोगों की कंपनियों और बैंक खातों का सीधा संबंध सामने आया है। जांच अब उन लोगों तक पहुंच रही है जो विदेशों से इस अवैध कारोबार को संचालित कर रहे थे।
आरोपियों की तलाश और लुकआउट नोटिस जारी
जांच एजेंसियां आलोक सिंह और विशाल की तलाश में लगातार छापेमारी कर रही हैं। आशंका जताई जा रही है कि दोनों विदेश भागने की कोशिश कर सकते हैं, इसलिए आलोक सिंह के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया गया है। एजेंसियों का मानना है कि इन दोनों की गिरफ्तारी से सिंडिकेट के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के बारे में अहम जानकारियां मिल सकती हैं।



