वाराणसी (Varanasi) के मणिकर्णिका घाट (Manikarnika Ghat) स्थित 325 साल पुराने सतुआ बाबा आश्रम (Satua Baba Ashram) के पीठाधीश्वर संतोष दास उर्फ सतुआ बाबा एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार मामला बाबा विश्वनाथ मंदिर में स्पर्श दर्शन को लेकर सोशल मीडिया पर हुई एक अभद्र टिप्पणी का है। दरअसल, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में स्पर्श दर्शन और जल चढ़ाने की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद बवाल खड़ा हो गया है। तस्वीरों में सतुआ बाबा को मंदिर के गर्भगृह में बाबा विश्वनाथ का स्पर्श करते और जलाभिषेक करते हुए देखा जा रहा है। लेकिन अब खुद सतुआ बाबा ने इस वायरल वीडियो पर सफाई दी है।
सतुआ बाबा का दावा
सतुआ बाबा का दावा है कि यह सब उनके नाम पर किया गया षड्यंत्र है। उन्होंने साफ कहा कि वायरल हो रही फोटो और वीडियो में जो व्यक्ति दिख रहा है, वह या तो कोई और है या फिर जानबूझकर उन्हें बदनाम करने की साजिश रची गई है। बाबा ने कहा कि मैंने इस पूरे मामले को लेकर चौक थाने में FIR दर्ज करवा दी है। हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि सतुआ बाबा के ही फेसबुक अकाउंट से 13 जुलाई को सुबह करीब 8 बजे एक पोस्ट किया गया, जिसमें लिखा गया ‘बाबा विश्वनाथ जी की कृपा, आज प्रथम सोमवार को आशीर्वाद लिया सत्य सनातन धर्म की जय हो।’ इस पोस्ट में एक फोटो भी है, जिसमें बाबा स्वर्ण शिखर के पास और कुछ कांवरियों के साथ दिखाई दे रहे हैं। इससे सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या यह दर्शन सावन के पहले सोमवार को हुए थे?
विरोधी बोले
विरोध कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं जैसे दिलीप सिंह और अन्य भक्तों का कहना है कि सोमवार के दिन स्पर्श दर्शन की अनुमति नहीं होती, क्योंकि मंदिर में भारी भीड़ होती है। उनका तर्क है कि अगर सतुआ बाबा सच में उस दिन गए थे, तो उन्होंने नियमों का उल्लंघन किया है। दूसरी ओर, अगर वह मंगला आरती के समय गए होते, तो फोटो में कांवरिए कैसे दिखाई दे रहे हैं? ऐसे में पूरा मामला रहस्य बन गया है।
FIR दर्ज
इस विवाद को लेकर सतुआ बाबा ने चौक निवासी अजय शर्मा के खिलाफ FIR दर्ज कराई है। बाबा का आरोप है कि अजय शर्मा ने उनके नाम का गलत इस्तेमाल कर सोशल मीडिया पर 13 जुलाई की शाम 5:17 बजे एक भ्रामक पोस्ट की, जिसमें स्पर्श दर्शन और अपशब्दों का ज़िक्र था। बाबा का कहना है कि उसी दिन वह सप्तऋषि आरती के समय मंदिर में मौजूद थे, जब अयोध्या से आए निर्वाणी अखाड़ा के महंत, जो 70 वर्ष के हैं, उन्होंने पहली बार बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक किया। बाबा ने कहा, “हम सनातनी हैं, पूजन हमारा अधिकार है और व्यवस्था का पालन हमारा कर्तव्य।”
स्पर्श दर्शन दिन में दो बार होता है
बता दें कि काशी विश्वनाथ मंदिर में स्पर्श दर्शन दिन में दो बार होता है: सुबह 4:00 बजे से 5:00 बजे तक और शाम 4:00 बजे से 5:00 बजे तक. इसके अलावा, सप्त ऋषि आरती के बाद रात 8:00 बजे से 8:30 बजे तक भी स्पर्श दर्शन किया जा सकता है। फिलहाल, इस पूरे मामले ने काशी में चर्चा का बाजार गर्म कर दिया है। बाबा का दावा है कि उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा गया, जबकि सोशल मीडिया पर उनके ही अकाउंट से की गई पोस्ट कई सवाल खड़े कर रहे हैं। अब देखना ये है कि पुलिस जांच में सच्चाई क्या निकलकर सामने आती है यह साजिश है या नियमों का उल्लंघन?