उत्तर प्रदेश में जैसे महिलाओं की सुरक्षा और उनकी परेशानियों की सुनवाई के लिए महिला थाने बने हुए हैं, ठीक इसी की तरह अब प्रदेश में बाल थाने भी बनवाए जाएंगें. दरअसल, बच्चों में पुलिस और थाने की नाम सुनते पुलिस और थाने का नाम सुनते ही डर बैठ जाता है. इस समस्या को देखते हुए ये फैसला लिया गया है. जल्द ही इसके लिए बाल मित्र थाना बनाने की सिफारिश सरकार से की जाएगी.
काउंसलिंग की भी होगी व्यवस्था
जानकारी के मुताबिक, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा ने मंगलवार को पत्रकार वार्ता में कहा कि बाल अपराधों पर अंकुश और बच्चों के लिए भयमुक्त वातावरण बनाने के लिए प्रदेश के सभी जिलों में यह थाना बनेंगे. बाल मित्र थाने के माध्यम से बच्चों को बेहतर माहौल दिलाने का प्रयास किया जाएगा. बाल मित्र थाने में पुलिसकर्मी वर्दी में नहीं रहेंगे. जरूरत पड़ने पर यहां पर बच्चों की काउंसलिंग की भी व्यवस्था होगी.
पुलिस को बच्चों के प्रति संवेदनशील की होगी वर्कशॉप
इतना ही नहीं बाल थाना बच्चों के अनुरूप सुसज्जित किया जाएगा. बच्चों के खिलौने व पढ़ने के लिए बाल साहित्य भी रखा जाएगा. बाल कल्याण समिति का दफ्तर भी यही पर रहेगा. इसके अलावा आयोग की बैठक में ‘एक युद्ध नशे के विरुद्ध’ अभियान चलाने के लिए संयुक्त एक्शन प्लान बनाने पर बल दिया गया. इसके साथ ही पुलिस को बच्चों के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए वर्कशॉप की जाएगी. इसकी शुरुआत लखनऊ मंडल के पुलिसकर्मियों से होगी.