दुष्कर्म के आरोप में फंसे पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद (Swami Chinmayanand) को बड़ी राहत मिली है. स्वामी चिन्मयानंद पर रेप का इल्जाम लगाने वाली विधि छात्रा विशेष अदालत में अपने बयान से पलट गई है. एमपी-एमएलए कोर्ट (MP-MLA Court) ने अभियोजन की अर्ज़ी को रिकॉर्ड पर लेकर इसकी एक कॉपी पीड़िता के पक्ष को दी है, ताकि अगली तारीख पर पीड़िता के पक्ष का जवाब आ जाए. इस मामले में एमपी एमएलए कोर्ट में 15 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी.
जानें क्या है पूरा मामला
बीते साल 24 अगस्त को स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय में पढ़ने वाली एलएलएम की छात्रा ने एक वीडियो वायरल कर स्वामी चिन्मयानंद पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए थे. यह डिग्री कॉलेज स्वामी चिन्मयानंद का ही है. पीड़िता के पिता ने शाहजहांपुर स्थित कोतवाली में स्वामी चिन्मयानंद के विरुद्ध मामला दर्ज कराया था. इसी मामले में स्वामी चिन्मयानंद के वकील ओम सिंह ने एक अज्ञात मोबाइल नंबर से 5 करोड़ रुपए रंगदारी मांगने का मामला दर्ज करा दिया था.
बीते साल 20 सितंबर को यौन शोषण के आरोपी स्वामी चिन्मयानंद की मुमुक्ष आश्रम से गिरफ्तारी हुई थी. एसआईटी ने यूपी पुलिस के साथ मिलकर चिन्मयानंद को आश्रम से गिरफ्तार किया था. इस मामले में 4 नवंबर, 2019 को एसआईटी ने चिन्मयानंद के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया था, जिसमें उन पर आईपीसी की धाराएं 376(सी), 354(डी), 342 व 506 लगाई गई थीं. तेरह पन्ने के चार्जशीट में 33 गवाहों के नाम व 29 दस्तावेजी साक्ष्यों की सूची संलग्न्न की गई थी.
इसी साल 3 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद केस की सुनवाई शाहजहांपुर जिला अदालत से लखनऊ एमपी-एमएलए कोर्ट में स्थानांतरित की गई थी. इसी रोज हाईकोर्ट से अभियुक्त स्वामी चिन्मयानंद की जमानत अर्जी भी मंजूर हुई थी. आरोप लगाने वाली युवती पर भी चिन्मयानंद को ब्लैकमेल कर रंगदारी मांगने के आरोप हैं ओर कोर्ट में इस केस की सुनवाई चल रही है.
पीड़िता को स्थानीय पुलिस ने राजस्थान के दौसा से बरामद किया, तभी सुप्रीम कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए पीड़िता को न्यायालय में पेश करने का आदेश किया और उत्तर प्रदेश सरकार को इस पूरे मामले के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करके उसे जांच कराने का निर्देश दिया. एसआईटी ने तकरीबन 3 माह से चल रही इस जांच में स्वामी चिन्मयानंद के अलावा रंगदारी मांगने के आरोप में पीड़िता समेत संजय, विक्रम सचिन को जेल भेज दिया. जबकि भाजपा के दो नेताओं को भी रंगदारी मांगने के आरोप में आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया था.
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