संगठन में बड़े बदलाव की ओर बीजेपी, यूपी फतह कराने वाले सुनील बंसल का बढ़ सकता है कद

भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से 12 ऊर्जावान प्रचारकों की मांग की है. ताकि इन्हें राष्ट्रीय स्तर से लेकर प्रदेशों में संगठन की जिम्मेदारियां दी जा सकें. आरएसएस से आने वाले प्रचारकों को आमतौर पर बीजेपी में संगठन मंत्री का दायित्व देने की परंपरा है. बीजेपी की राष्ट्रीय इकाई से लेकर प्रदेश और क्षेत्रीय इकाइयों में आरएसएस के प्रचारकों के लिए सीटें होती हैं.


आरएसएस की 11, 12 और 13 जुलाई को आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में होने जा रही बैठक बेहद अहम मानी जा रही है. क्योंकि इस बैठक मे बीजेपी की मांग पर आरएसएस फैसला ले सकता है. संघ प्रमुख मोहन भागवत सहित शीर्ष पदाधिकारियों की मौजूदगी में होने जा रही इस बैठक में देश भर के करीब 300 संघ प्रचारक हिस्सा लेंगे. माना जा रहा है कि अगर संघ 12 प्रचारक देने को राजी हुआ तो बीजेपी में राष्ट्रीय से लेकर प्रदेश स्तर पर संगठन मंत्री के रूप में कुछ नए चेहरे दिखेंगे.


इस बार की बैठक इसलिए भी अहम है क्योंकि इसमें भाजपा संगठन में आरएसएस की तरफ से भेजे जाने वाले अनुभवी प्रचारकों पर फैसला हो सकता है. बीजेपी की राष्ट्रीय टीम से लेकर यूपी सहित कई राज्यों के संगठन में प्रचारक भेजे जा सकते हैं. वहीं बैठक में यूपी में भी एक सह संगठन मंत्री की नई एंट्री पर फैसला हो सकता है. यही नहीं यूपी के महामंत्री संगठन सुनील बंसल (Sunil Bansal) के कद बढ़ाने पर भी फैसला हो सकता है. वह राष्ट्रीय टीम में भेजे जा सकते हैं या अन्य जिम्मेदारी पर फैसला सम्भव है. आरएसएस द्वारा अपने प्रचारकों को भाजपा या अन्य अनुषांगिक संगठनों में संगठन मंत्री के रूप में भेजने की परम्परा है.


संघ की हर साल तीन प्रमुख बैठकें होती हैं. मार्च में जनरल मीटिंग यानी जिसे अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक कहते हैं. इसमें संघ नीतिगत फैसले करने के साथ सिर्फ संगठन में आंतरिक परिवर्तन करता है. जबकि जुलाई की बैठक में संघ अपने ही नहीं, बल्कि परिवार यानी संबद्ध चल रहे 35 से अधिक संगठनों से जुड़े प्रचारकों के दायित्वों में भी जरूरत पड़ने पर परिवर्तन करता है.


मकसद है कि प्रचारक नई जिम्मेदारियां निभाकर नई ऊर्जा से काम करें. मार्च वाली बैठक में जहां संघ के प्रचारकों से लेकर अन्य स्तर के पदाधिकारियों की संख्या करीब डेढ़ हजार होती है, वहीं जुलाई की इस बैठक में सिर्फ 300 विशुद्ध प्रचारक शामिल होते हैं. इसस बैठक में आरएसएस के पूर्णकालिक प्रचारकों के हिस्सा लेने की ही अनुमति होती है. दीपावली के आसपास संघ की तीसरी प्रमुख बैठक होती है, जिसमें स्वयंसेवकों के व्यक्तित्व विकास से लेकर अन्य गतिविधियों पर चर्चा होती है. इस बैठक में प्रचारकों के अलावा भी आरएसएस के संगठनों से जुड़े दायित्व संभालने वाले पदाधिकारी शामिल होते हैं.


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