‘यूपी उपचुनाव में हुई ‘वोटों की चोरी’…’, अखिलेश यादव ने मतदाता सूची में लगाया था धांधली का आरोप, 3 जिलाधिकारियों ने दिया जवाब

बिहार में SIR में गड़बड़ी और वोट चोरी (Vote Chori) के आरोपों को लेकर विपक्ष लगातार चुनाव आयोग (Election Commission) के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। मंगलवार को भी विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस बीच समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने उत्तर प्रदेश में हुए उपचुनावों में ‘वोटों की डकैती’ का आरोप लगाते हुए पुलिस-प्रशासन पर सीधे तौर पर सत्ताधारी दल को मदद पहुंचाने का आरोप लगाया है।

अखिलेश यादव का आरोप 

पहला ट्वीट 

दूसरा ट्वीट 

अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर आरोप लगाया कि साल 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की ओर से 18,000 हलफनामे दिए गए थे, जिनमें मतदाता सूची से गलत तरीके से नाम काटे जाने की शिकायत की गई थी।

उन्होंने लिखा,’भाजपा सरकार इन हलफनामों का सही जवाब नहीं देना चाहती। चुनाव आयोग सिर्फ जिलाधिकारियों को आगे कर के बच नहीं सकता। मृतक प्रमाणपत्र दिखाएं जो नाम काटते समय लगाए गए थे। अगर यह सब झूठ नहीं है तो अब तक जवाब देने में इतना वक्त क्यों लग गया?’

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प्रेस वार्ता में दिखाईं हलफनामों की प्रतियां

मंगलवार को मीडिया से बातचीत के दौरान अखिलेश यादव ने हलफनामों की प्रतियां दिखाईं और कहा कि उन्हें ईमेल के माध्यम से भी भेजा गया था। उनका आरोप है कि 18,000 लोगों को वोटिंग से वंचित कर दिया गया और उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए।उन्होंने यह भी दावा किया कि कई जगह एफआईआर दर्ज की गई हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से शिकायतकर्ताओं पर दबाव बनाया जा रहा है।

डीएमों का जवाब

अखिलेश यादव के आरोपों का जवाब देते हुए कई जिलों के जिलाधिकारियों ने सोशल मीडिया पर सफाई दी है।

जौनपुर डीएम का बयान:

‘जौनपुर विधानसभा क्षेत्र से पांच मतदाताओं के नाम गलत तरीके से हटाने की शिकायत मिली थी। जांच में पता चला कि ये सभी व्यक्ति 2022 से पहले ही मृत हो चुके थे। स्थानीय लोगों और मृतकों के परिवार ने इसकी पुष्टि की। शिकायतें निराधार और भ्रामक हैं।’

कासगंज डीएम का बयान:

‘अमांपुर विधानसभा से 8 नाम हटाने की शिकायत आई थी। जांच में पता चला कि 7 मतदाताओं के नाम दो बार दर्ज थे, इसलिए एक प्रविष्टि हटाई गई। एक मतदाता की मृत्यु हो चुकी थी, जिसकी पत्नी द्वारा फार्म 7 भरकर नाम विलोपित करवाया गया था।’

बाराबंकी डीएम का बयान:

जिलाधिकारी बाराबंकी ने बताया कि मामले की जांच कराई गई, जिसमें सामने आया कि संबंधित वोटरों के नाम अभी भी वोटर लिस्ट में दर्ज हैं और कोई नाम नहीं हटाया गया है।

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SIR को लेकर संसद में भी विरोध

सपा के सांसद वीरेंद्र सिंह ने संसद में कहा कि वे एसआईआर के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन चुनाव आयोग जिस तरीके से इसे लागू कर रहा है, वह निष्पक्ष नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर आयोग ने अपना रवैया नहीं बदला तो महाभियोग ही एकमात्र रास्ता बच जाएगा।

अवधेश प्रसाद ने भी जताया विरोध

अयोध्या से समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने भी चुनाव आयोग की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि वोटरों को डराकर, उनका नाम हटाकर, और सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर लोकतंत्र को कमजोर किया जा रहा है।

चुनावी पारदर्शिता पर गहराता संकट

समाजवादी पार्टी के आरोपों से उत्तर प्रदेश में चुनावी पारदर्शिता को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। अब देखना यह होगा कि चुनाव आयोग इन आरोपों पर क्या प्रतिक्रिया देता है और क्या विपक्ष की मांग पर कोई स्वतंत्र जांच होती है या नहीं।

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