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BIMSTEC क्या है? है, जिसके शिखर सम्मेलन में शामिल हुए पीएम मोदी, भारत के लिए क्यों है महत्वपूर्ण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) हाल ही में थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक पहुंचे, जहां उन्होंने बिम्सटेक (BIMSTEC) शिखर सम्मेलन में भाग लिया। इस दौरान उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया। पीएम मोदी ने थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनावात्रा के साथ द्विपक्षीय बैठक की और थाईलैंड के राजा महा वजीरालोंगकोर्न से मुलाकात की संभावना भी जताई गई है।

बिम्सटेक क्या है?

बिम्सटेक का पूरा नाम है ‘बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल’ (BIMSTEC)। यह एक संगठन है जो बंगाल की खाड़ी के आसपास स्थित सात देशों का समूह है। इसका गठन 6 जून 1997 को बैंकॉक घोषणा के जरिए हुआ था। इस संगठन में दक्षिण एशिया के पांच देश – बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल और श्रीलंका – और दक्षिण-पूर्व एशिया के दो देश – म्यांमार और थाईलैंड – शामिल हैं।

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बिम्सटेक का विकास

बिम्सटेक की शुरुआत 1997 में चार देशों से हुई थी। इसके बाद म्यांमार को 1997 में और नेपाल और भूटान को 2004 में सदस्य बनाया गया। तब इसका नाम बदलकर BIMSTEC रखा गया।

बिम्सटेक का व्यापार और आर्थिक महत्व

बिम्सटेक के सदस्य देशों की कुल आबादी लगभग 1.67 बिलियन है, और उनका कुल जीडीपी $2.88 ट्रिलियन है। 2000 में बिम्सटेक के बीच व्यापार $5 बिलियन था, जो 2023 में बढ़कर $60 बिलियन तक पहुंच गया है। हालांकि, अभी तक इस क्षेत्र में कोई क्षेत्रीय मुक्त व्यापार समझौता नहीं हुआ है, लेकिन व्यापारिक संबंध लगातार बढ़ रहे हैं।

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बिम्सटेक की अध्यक्षता प्रक्रिया

बिम्सटेक की अध्यक्षता सदस्य देशों के नामों के अनुसार घूमती रहती है। इस समय थाईलैंड 2022 से अध्यक्ष है, और अगला अध्यक्ष बांग्लादेश होगा। भारत पहले भी 2000 और 2006-2008 के बीच बिम्सटेक की अध्यक्षता कर चुका है।

भारत के लिए बिम्सटेक का महत्व

भारत के लिए बिम्सटेक का महत्व इसलिए बढ़ गया है क्योंकि चीन और अमेरिका के बीच अस्थिरता बढ़ रही है। चीन के समुद्री और नौसैनिक ताकतों के विस्तार के कारण बंगाल की खाड़ी एक विवादित क्षेत्र बन गया है। ऐसे में बिम्सटेक भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के प्रभाव का मुकाबला करने में मदद कर सकता है। वहीं, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (SAARC) पाकिस्तान के कारण निष्क्रिय हो चुका है, और श्रीलंका और बांग्लादेश भी अब चीन के प्रभाव में आ चुके हैं। इस स्थिति में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन भारत के लिए और भी अहम हो गया है।

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