पितृ पक्ष: श्राद्ध के समय बेहद जरूरी होता है पंचग्रास निकालना, जानें इसकी वजह और महत्व ?

 

आज कल पितृ पक्ष चल रहे हैं. पितृ पक्ष के दिन अपने पूर्वजों की मृत्युतिथि पर श्राद्ध किया जाता है. इस दिन श्राद्ध करने से पिंडदान सीधे पितरों तक पहुंचता है. साथ ही आपको पितरों का आर्शीवाद मिलता है उनकी कृपा आप पर बनी रहती है. क्या आप जानते हैं कि इन्हीं पितृ पक्षों ने पंचग्रास का काफी महत्व होता है. दरअसल, पितृ पक्ष में पितरों के लिए बनाए गए भोजन को पहले पंचग्रास के रूप में निकाला जाता है. आज की खबर में हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर ये पंचग्रास है क्या और श्राद्धों में इसका क्या महत्व है ?

क्या होता है पंचग्रास?

जानकारी के मुताबिक, पितृ पक्ष में परिजन जब पितरों की मृत्यु तिथि पर श्राद्ध करते हैं, तो ब्राह्मणों को भोजन कराने से पहले पंचग्रास भोजन निकाला जाता है. पंचग्रास के तहत श्राद्ध के दिन बने भोजन को पांच पत्तल पर निकालकर इसे पांच स्थान पर रखते हैं. यह पंचग्रास भोजन गाय, चींटी, कौए, देवता और कुत्ते को खिलाया जाता है.

जानें इसका महत्व

श्राद्ध पक्ष में पंचग्रास का विशेष महत्व बताया गया है. पंचग्रास भोजन निकालने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वह प्रसन्न होकर परिजनों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में रोजाना पंचग्रास भोजन निकालना चाहिए. यदि आप रोज नहीं निकाल सकते हैं, तो विशेषकर उस दिन पंचग्रास भोजन जरूर निकालना चाहिए जिस दिन पितरों के नाम पर ब्राह्मणों को भोजन करा रहें हों. इस दिन भोजन को 5 पत्तलों पर निकालकर मंत्रों के साथ संकल्प बोलें. शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध का सही समय दोपहर 12 बजे के बाद होता है. इसके बाद ही ब्राह्राणों को भोजन और तर्पण करना चाहिए.

पंचग्रास निकालने के नियम

पंचग्रास में सबसे पहला ग्रास गाय के लिए निकाला जाता है. इसे गो बलि भी कहते हैं.

दूसरा ग्रास कुत्तों के लिए निकाला जाता है. जिसे श्वान बलि कहते हैं.

तीसरा ग्रास कौवे के लिए निकाला जाता है जिसे काक बलि कहते हैं.

चौथा ग्रास देवताओं के लिए निकाला जाता है जिसे देव बलि कहते हैं. इसे देवताओं के नाम पर जल में प्रवाहित कर देना चाहिए.

पांचवां और अंतिम ग्रास चीटियों के लिए होता है जिसे पिपीलिकादि बलि कहते हैं.

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