नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने गुरुवार को कश्मीर (Kashmir) के इतिहास और संस्कृति पर एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिससे एक नई बहस छिड़ गई है। शाह ने कहा कि जम्मू और कश्मीर का इतिहास पूरी तरह से विकृत किया गया है और अब हम उसे फिर से सही रूप में प्रस्तुत करेंगे। उनका कहना था, “कश्मीर का सांस्कृतिक गौरव हम फिर प्राप्त करेंगे,” और उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के प्रसिद्ध नारे का हवाला देते हुए कहा कि “जम्मू और कश्मीर भारत का अंग ही नहीं, बल्कि भारत की आत्मा का हिस्सा है।”
इसके बाद शाह ने कश्मीर का नाम कश्यप ऋषि (Mahrishi Kashyap) से जोड़ते हुए यह कहा कि कश्मीर का नाम कश्यप ऋषि के नाम पर रखा जा सकता है। उनके इस बयान ने कई सवाल उठाए हैं, लेकिन यह कोई नई बात नहीं है। कश्मीर और कश्यप ऋषि के बीच एक गहरा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कनेक्शन है।
कश्यप ऋषि का इतिहास
कश्यप ऋषि, जिन्हें भारतीय पुराणों में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व के रूप में जाना जाता है, ब्रह्माजी के मानस पुत्र मरीचि के बेटे थे। कश्यप ऋषि की 17 पत्नियाँ थीं, जिनमें से 13 दक्ष प्रजापति की बेटियाँ थीं। कश्यप ऋषि को भारतीय संस्कृति और विशेष रूप से कश्मीरी पंडितों का आदर्श माना जाता है, जिन्हें उनके वंशज माना जाता है।
कश्मीर नाम की उत्पत्ति
कश्मीर नाम संस्कृत शब्द “कश्यप” से लिया गया है, जिसका शाब्दिक अर्थ है “कश्यप ऋषि की भूमि।” यह नाम कश्यप ऋषि के साथ जुड़ा हुआ है, जिनके बारे में मान्यता है कि उन्होंने कश्मीर क्षेत्र को बसाया था। कश्मीर के नाम के पीछे एक और प्रसिद्ध कथा भी है, जो ‘नीलमत पुराण’ में मिलती है। इसके अनुसार, कश्यप ऋषि ने एक राक्षस को हराने के लिए कठोर तपस्या की थी, जिससे कश्मीर क्षेत्र का उद्धार हुआ। इसके बाद, इस क्षेत्र को “कश्मीर” के नाम से जाना जाने लगा।
गृहमंत्री ने इतिहासकारों को दी चुनौती
अमित शाह ने इस दौरान इतिहासकारों को चुनौती दी, कि वे सही इतिहास लिखें और इस काम के लिए केवल दिल्ली के दफ्तरों में बैठकर काम न करें। शाह ने कहा, “इतिहास को लुटियन दिल्ली में बैठकर नहीं लिखा जा सकता, इसे जाकर समझना पड़ता है।” उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है जब इतिहास को प्रमाणों के आधार पर लिखा जाए और देश की जनता के सामने सही तथ्यों को रखा जाए।
शाह ने कश्मीर के सांस्कृतिक योगदान की भी सराहना की और कहा कि कश्मीर में भारत की संस्कृति की नींव पड़ी थी। उन्होंने शंकराचार्य, सिल्क रूट और हेमिष मठ का जिक्र किया, जो कश्मीर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाते हैं। शाह के अनुसार, सूफी, बौद्ध और शैल मठों ने कश्मीर में संस्कृति और शिक्षा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कश्मीर में आतंकवाद में कमी: शाह ने बताया कारण
गृहमंत्री अमित शाह ने कश्मीर में आतंकवाद की स्थिति पर भी टिप्पणी की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी चाहते थे कि कश्मीर की छोटी से छोटी स्थानीय भाषा को संरक्षित किया जाए, इसीलिए कश्मीरी, डोगरी, बालटी और झंस्कारी भाषाओं को आधिकारिक मान्यता दी गई।
उन्होंने कहा कि धारा 370 और 35A जैसे प्रावधानों के कारण कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद को बढ़ावा मिला था। शाह के अनुसार, “धारा 370 ने कश्मीर और भारत के बीच एक अवरोध खड़ा किया, जिससे आतंकवाद को बढ़ावा मिला।” लेकिन अब, जब इन प्रावधानों को समाप्त कर दिया गया है, तो कश्मीर में आतंकवाद में कमी आई है और स्थिति में सुधार हो रहा है।
कश्मीर का नाम बदलकर ‘महर्षि कश्यप’ करने के सुझाव ने नया विवाद खड़ा कर दिया है. इस बयान के बाद राजनीतिक नेता, इतिहासकार और आम लोग सोशल मीडिया पर लगातार चर्चा कर रहे हैं। कुछ लोग इसे क्षेत्र को उसकी प्राचीन जड़ों से फिर से जोड़ने के अवसर के रूप में देखते हैं, वहीं अन्य लोग ऐसे बदलाव की आवश्यकता पर सवाल उठा रहे हैं।
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