बिकरू कांड : अभी भी सरकारी मदद का इंतजार कर रहा शहीद दारोगा का परिवार, 2 साल बाद भी न पत्नी को मिली नौकरी, न ही बना स्मारक

 

बिकरू कांड…… दो साल पहले कानपुर में हुए इस केस की यादें आज भी लोगों के जहन में जिन्दा है. इस कांड में विकास दुबे नामके दुर्दांत अपराधी ने अपने साथियों के साथ मिलकर आठ पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया था. हालाँकि कुछ ही दिनों में पुलिसकर्मियों को मारने वाले तकरीबन सभी आरोपी मुठभेड़ों में मारे गए थे. पर, जो पुलिसकर्मी शहीद हुए उनके परिवार आज भी 2 जुलाई की रात नहीं भूले हैं. इन शहीद पुलिसकर्मियों के परिवारों को आर्थिक सहायता के साथ साथ सरकारी नौकरी का भी वादा किया गया था. पर आज भी कई शहीदों के परिवार नौकरी की आस में दर दर भटक रहे हैं. इसी में शामिल है शहीद अनूप सिंह की पत्नी. जिनके अभी तक नौकरी नहीं मिल सकी है. नौकरी की उम्मीद में वो सीएम से लेकर हर एक अफसर से मिल चुकीं है. पर अभी तक कोई लाभ नहीं मिला है.

तत्कालीन कैबिनेट मंत्री ने दिया था आश्वासन

जानकारी के मुताबिक, दो जुलाई 2020 की रात बिकरू गांव में गैैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर फायरिंग में सीओ देवेंद्र कुमार मिश्रा, शिवराजपुर थाना प्रभारी महेश कुमार यादव, दारोगा नेबू लाल, मंधना चौकी प्रभारी अनूप कुमार सिंह और चार सिपाही बबलू कुमार, सुल्तान सिंह, राहुल कुमार व जितेंद्र पाल शहीद हो गए थे. जिसके बाद सरकार ने सभी को मुआवजा और नौकरी का वादा किया था. बावजूद इसके कई शहीदों के परिजन आज भी नौकरी की बांट जोह रहे हैं.

2 जुलाई 2020 की रात में बिकरू में दबिश के दौरान हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे गैंग से मुठभेड़ में दारोगा अनूप सिंह भी शहीद हुए थे. उनकी शहादत के बाद गांव में सरकारी अफसरों से लेकर मंत्री तक पहुंचे थे. शहीद दारोगा अनूप सिंह की शहादत के बाद मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में तत्कालीन उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री डॉक्टर महेंद्र सिंह मांधाता गांव पहुंचे थे.

Pratapgarh News: Road And Gateway To Be Built In The Name Of Shaheed Sub Inspector Anoop Singh - Pratapgarh News: शहीद दरोगा अनूप सिंह के नाम पर बनेगी सड़क और प्रवेशद्वार, मंत्री ने परिजनों को सौंपा एक करोड़ का चेक - Amar Ujala Hindi News Live

उन्होंने पत्नी और शहीद के पिता को ढांढस बढ़ाते हुए कहा था कि परिवार का कोई भी व्यक्ति नौकरी कर सकता है. इस पर अनूप की पत्नी ने स्वयं नौकरी करने की बात कही थी. यही नहीं गांव की मुख्य सड़क पर शहीद अनूप सिंह प्रवेश द्वार पानी की टंकी का निर्माण साथ ही साथ सहित के घर तक सड़क बनवाने का आश्वासन दिया था.

अभी तक नहीं बना स्मारक और प्रवेश द्वार

तत्कालीन विधायक डॉक्टर आरके वर्मा की पहल पर सिर्फ सड़क का निर्माण कराया गया. वह भी पूरी तरीके से जर्जर हो चुकी है. अनूप की पत्नी नीतू को अभी तक नौकरी नहीं मिल सकी है जबकि परिवार के लोग दो-दो बार मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से मिल चुके हैं. हर बार उन्हें जल्द नियुक्ति पत्र मिलने का भरोसा दिलाया जाता है. इतना ही नहीं, गांव में अभी तक अंतिम संस्कार स्थल पर न तो स्मारक बना है ना ही प्रवेश द्वार का निर्माण हुआ है.

जाने अब तक किसे मिली नौकरी ?

बता दें कि, बिकरू कांड में सीओ देवेंद्र मिश्रा, शिवराजपुर एसओ महेश यादव, मंधना चौकी इंचार्ज अनूप कुमार सिंह, एसआई नेबू लाल, सिपाही जितेंद्र पाल, सुल्तान सिंह, राहुल कुमार, बबलू कुमार शहीद हो गए थे. शहीद डिप्टी एसपी देवेंद्र मिश्रा की बेटी वैष्णवी मिश्रा को पुलिस विभाग में ओएसडी के पद पर नौकरी दी गई है. शहीद बबलू कुमार के भाई उमेश को सिपाही के पद नौकरी मिली. जबकि शहीद सिपाही राहुल, सिपाही सुल्तान और दरोगा अनूप सिंह की पत्नियों ने दारोगा के पद पर आवेदन किया था. सिर्फ राहुल की पत्नी दिव्या भारती को दरोगा भर्ती में परीक्षा और दौड़ पूरी करने के बाद नौकरी मिल गई है, लेकिन उनका कहना है कि आश्रित कोटे का उन्हें कोई लाभ नहीं मिला है.

also Read : बिकरू कांड के 2 साल होने पर छलका शहीद सिपाही की पत्नी का दर्द, कहा- अभी तक नहीं मिली नौकरी, मायके में रहने को मजबूर

( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )