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दारुल उलूम देवबंद का फतवा: औरतों का मस्जिद में तरावीह पढ़ना गलत, मुफ्तियों ने दिये तर्क

दारुल उलूम के एक फतवे में औरतों के रमजान माह की विशेष नमाज तरावीह की जमात करने और मस्जिद में तरावीह की नमाज पढ़ने को गलत बताया है. मुफ्तियों ने तर्क दिया कि ‘फर्ज नमाज के लिए औरतों को मस्जिद में जाने की इजाजत नहीं तो तरावीह के लिए इजाजत कैसे हो सकती है’.


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पाकिस्तान से एक व्यक्ति ने दारुल उलूम के मुफ्तियों से लिखित में सवाल किया था कि ‘विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग तरीकों से औरतों की तरावीह की नमाज हो रही है. एक ही स्थान पर हाफिज को इमाम बनाकर औरतें नमाज-ए-तरावीह भी पड़ रही है, जबकि दूसरी जगह नाबालिगों को इमाम बनाकर तरावीह अदा की जा रही है. कई जगह घर के अंदर हाफिज साहब तरावीह पढ़ा रहे हैं, जिनके पीछे मर्द नमाज अदा कर रहे हैं. जबकि उसी घर के दूसरे कमरे में पर्दे के साथ महिलाएं तरावीह पढ़ रही है’.


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पूछा गया कि इनमें से किस तरीके से महिलाओं का तरावीह की नमाज पढ़ना सही है. इस पर मुफ्तियों ने कहा कि ‘महिलाओं को तरावीह की नमाज घर के भीतर एकांत में अदा करनी चाहिए. इसके अलावा पूछे गए सभी तरीके बिल्कुल मना है.


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