भारत की थोक मूल्य सूचकांक (WPI) मुद्रास्फीति इस साल अप्रैल में घटकर -0.92 प्रतिशत रह गई, जो इस साल मार्च में 1.34 प्रतिशत थी। थोक मूल्य सूचकांक आधारित खाद्य मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर 0.17 प्रतिशत पर आ गई, जो मार्च में 2.32 प्रतिशत थी। थोक मूल्य सूचकांक आधारित खाद्य तेलों की मुद्रास्फीति अप्रैल में शून्य से 25.91 प्रतिशत नीचे रही जबकि थोक मूल्य सूचकांक आधारित वस्तुओं की मुद्रास्फीति इसी अवधि में 1.60 प्रतिशत रही।
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार ईंधन, बिजली और विनिर्मित उत्पादों की थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में क्रमश: 0.93 प्रतिशत और -2.42 प्रतिशत रही। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में गिरावट बुनियादी धातुओं, खाद्य उत्पादों, खनिज तेलों, कपड़ा, गैर-खाद्य वस्तुओं, रसायन और रासायनिक उत्पादों, रबर और रबर उत्पादों और कागज और कागज उत्पादों की कीमतों में गिरावट के कारण आई है।
Also Read: Twitter CEO का पद छोड़ेंगे Elon Musk, पहली बार महिला के हाथ होगी कमान
बता दें कि सब्जियों तेलों और वसा की कीमतों में गिरावट के कारण अप्रैल में भारत में खुदरा मुद्रास्फीति भी घटकर 18 महीने के निचले स्तर 4.7 प्रतिशत पर आ गई है। फिलहाल यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 4-6 प्रतिशत के लक्ष्य के बीच है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति लगातार दूसरे महीने रिजर्व बैंक के दायरे में रही और यह छह प्रतिशत के स्तर से नीचे आ गई। मार्च 2023 में खुदरा मुद्रास्फीति 5.66 प्रतिशत थी।
सरकार ने रिजर्व बैंक से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत मार्जिन के साथ चार प्रतिशत पर बनी रहे। अप्रैल में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की हालिया बैठक के दौरान केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में वृद्धि रोक दी थी और चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )