साल 2020: नहीं रहे ये बड़े राजनेता, 2020 ने सियासी जगत से बहुत कुछ छीना

स्पेशल न्यूज़: साल 2020 बहुत जल्द समाप्ति की तरफ बढ़ता नजर आ रहा है. यह साल कुछ ज्यादा अच्छा तो नहीं गया साथ ही इस साल में कई महान हस्तियों ने भी हमारा साथ छोड़ दिया है. इस साल कई दिग्गज लोगों ने 2020 को अलविदा कहा है. तो चलिए जानते हैं कि इस साल कौन से प्रमुख नेताओं ने अपनी यादें छोड़ी हैं. इस क्रम में हम पहले रखते हैं, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को जिनका 84 की उम्र में 31 अगस्त 2020 को अस्पताल में निधन हो गया था.


10

10 अगस्त से वे दिल्ली के आर्मी रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल में भर्ती थे. प्रणब ने 10 दिसंबर को ही खुद के कोरोना पॉजिटिव होने की बात भी कही थी. एक साल पहले उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. कलकत्ता विश्वविद्यालय से इतिहास और राजनीति विज्ञान में उन्होंने एमए किया था. वे डिप्टी अकाउंट जनरल पोस्ट एंड टेलीग्राफ में क्लर्क भी रहे. 1963 में वे कोलकाता के विद्यानगर कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस के लेक्चरर भी रहे. 1969 में शुरू हुआ राजनीतिक सफर जब उन्हें मिदनापुर उपचुनाव में वीके कृष्ण मेनन का चुनाव अभियान संभाला था. प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी ने उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें कांग्रेस में शामिल किया था. 1969 में ही प्रणब राज्यसभा के लिए चुने गए. इसके बाद 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्यसभा के लिए चुने गए. 1973 में इंदिरा गांधी की कैबिनेट में पहली बार मंत्री बने. उन्हें राजस्व और बैंकिंग मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया था. इंदिरा गांधी की सरकार में 15 जनवरी 1982 से 31 दिसंबर 1884 तक वित्त मंत्री रहे. पीवी नरसिंह राव सरकार में 10 फरवरी 1995 से 16 मई 1996 तक विदेश मंत्री फिर बाद मनमोहन सिंह की सरकार में 24 जनवरी 2009 से 26 जून 2012 तक वित्त मंत्री रहे. इसके बाद प्रणब मुखर्जी ने 25 जुलाई को 13वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली और 25 जुलाई 2017 तक इस पद पर रहे.


9

दूसरे स्थान पर हम बात करना चाहेंगे 71 साल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गुजरात से राज्यसभा सांसद अहमद पटेल की जिनका निधन 25 नवंबर को हुआ था. इनको 10 अक्टूबर को कोरोना वायरस संक्रमण से पॉजिटिव निकले थे. पटेल को 15 अक्टूबर को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अहमद पटेल का जन्म 21 अगस्त 1949 को गुजरात के भरूच जिले के पिरामण गांव में हुआ था. अहमद पटेल पहली बार 28 साल की उम्र में सांसद बन गए थे. वह 1977 से 1989 3 बार लोकसभा सांसद रहे और 1993 से 2020 तक 4 बार राज्यसभा सांसद. वह कांग्रेस के बड़े रणनीतिकारों में और गांधी परिवार के सबसे करीबी रहे. पटेल जनवरी से सितंबर 1985 तक तत्कालीन पीएम राजीव गांधी के संसदीय सचिव रहे. 2001 से सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार थे. जनवरी 1986 में वे गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे. 1977 से 1982 तक यूथ कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे. सितंबर 1983 से दिसंबर 1984 तक वे कांग्रेस के संयुक्त सचिव रहे.


8

इसके बाद हम बात करते है, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की जिनका निधन 8 अक्टूबर को दिल्ली में 74 साल की उम्र में हो गया था. रामविलास पासवान काफी समय से बीमारी के चलते एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में भर्ती थे. एम्स में 2 अक्टूबर की रात को उनकी हार्ट सर्जरी हुई थी. हालांकि पहले भी उनकी हार्ट सर्जरी हो चुकी थी. रामविलास पासवान का जन्म 5 जुलाई 1946 को बिहार के खगड़िया जिले एक गरीब और दलित परिवार में हुआ था. पासवान ने अपनी राजनीतिक पारी में दो बार सबसे ज्यादा वोटों से जीतने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था. उन्होंने 1969 में पहला चुनाव लड़ा था. रिकॉर्ड मतों से जीतने वाले पासवान केंद्र की कई सरकारों में रहे. पासवान बिहार की दलित राजनीति का एक बड़ा चेहरा थे.


7

वहीँ एक और दिग्गज ने इस साल हमारा साथ छोड़ दिया था, जसवंत सिंह जिनका 27 सितंबर 2020 को दिल्ली के आर्मी हॉस्पिटल में भर्ती थे. इन्हें 25 जून दिल्ली के आर्मी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बताया जा रहा है कि जसवंत सिंह कई सालों से मल्टी ऑर्गन डिस्फंक्शन सिंड्रोम से पीड़ित थे. इसके शरीर के कई अंग ठीक से काम करना भी बंद कर चुके थे. राजनीति में आने से पहले जसवंत सिंह इंडियन आर्मी में मेजर के पद रहे थे. रिटायर होने के बाद वह 1977 में राजनीति में आ गए. 1980 में बीजेपी के गठन में वह शामिल रहे थे. 24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस प्लेन को हाईजैक करके कंधार ले जाया गया था. यात्रियों को बचाने और तीन आतंकियों को छोड़ने के लिए जसवंत सिंह कंधार गए थे. 1998 में परमाणु परीक्षण के बाद सख्त अमेरिकी प्रतिबंधों को उन्होंने यूएस के शीर्ष नेतृत्व से बात की थी. पाकिस्तान की हरकत पर 1999 में हुए करगिल युद्ध के दौरान भी जसवंत सिंह ने महत्वपूर्ण रोल अदा किया था. 2009 में जसवंत सिंह मोहम्मद अली जिन्ना पर लिखी अपनी किताब के चलते बीजेपी ने उन्हें पार्टी से भी निकाल दिया था. बाद में उनकी वापसी हुई थी, लेकिन साल 2014 में लोकसभा चुनाव में बीजेपी टिकट नहीं पर जसवंत ने पार्टी छोड़ दी थी. वह निर्दलीय चुनाव लड़े और हार गए थे. इसके कुछ समय बाद ही वह गिरने से कोमा की स्थिति में चले गए थे.


6

साल 2020 में हमने एक और महान हस्ती खोई है, जो उद्योगपति से राजनेता बने अमर सिंह हैं जिनका निधन बीते 1 अगस्त को हो गया था. एक समय यूपी और केंद्र की राजनीति में बड़ा दखल रखने वाले नेता अमर सिंह का जन्म 27 जनवरी 1956 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था. बीए, एलएलबी की शिक्षा लेने वाले पूर्व समाजवादी नेता और राज्यसभा सांसद अमर सिंह का 64 साल की उम्र में सिंगापुर में निधन हुआ. वे छह महीने से सिंगापुर के अस्पताल में किडनी का इलाज करा रहे थे. सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के कभी बेहद करीबी रहे अमर सिंह समाजवादी पार्टी के महासचिव भी रहे, लेकिन उन्हें पार्टी से दो बार 2010 और 2017 में बाहर का रास्ता दिखाया था. बता दें अमर सिंह अमिताभ बच्चन फैमिली के बेहद करीब रहे थे, लेकिन कुछ समय से रिश्तों में खाई आ गई थी. फरवरी साल 2020 में अमर सिंह ने अस्पताल से ही एक वीडियो शेयर करके बच्चन से खेद भी जताया था. साल 2018 में अमर सिंह ने पिता की मौत के बाद खाली पड़े अपने पैत्रिक मकान को आरएसएस की अनुसांगिक संस्था सेवा भारती संस्थान को दान कर दी थी.


3

इन सभी दिग्गजों के अलावा मध्य प्रदेश के राज्यपाल 85 साल के लालजी टंडन जी भी इस साल 21 जुलाई 2020 में निधन हो गया. लालजी टंडन को 11 जून को सांस लेने में तकलीफ और बुखार के चलते लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 12 अप्रैल 1935 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में जन्में लालजी टंडन बचपन से ही संघ की शाखाओं में जाया करते थे. संघ से लगाव के चलते लखनऊ में उनकी अटल बिहारी वाजपेयी से मुलाकात हुई थी. बाद में वाजपेयी के लखनऊ सीट छोड़ने पर लालजी टंडन ने 2009 में लोकसभा चुनाव जीता था. टंडन की राजनीतिक यात्रा एक पार्षद के तौर पर 1960 से शुरू हुई थी. वह 2 बार पार्षद, दो बार एमएलसी रहे फिर लगातार तीन बार विधायक भी रहे. टंडन कल्याण सिंह सरकार में मंत्री थे. इसके अलावा वह यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे. बिहार के राज्यपाल बनाए गए थे. इसके बाद, उन्हें मध्य प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया था.


4

तरुण गोगोई जो लगभग तीन साल से असम राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. तरुण गोगोई 2 नवंबर से अस्पताल में भर्ती थे जिसके बाद 23 नंवबर 2020 को निधन हो गया. आपको बता दें कि इससे पहले उन्हें 25 अगस्त को कोरोना संक्रमण का पता चलने पर गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया था. कोरोना के चलते 2 महीने अस्पताल में रखने के बाद 25 अक्टूबर को छुट्टी दी गई थी. 11 अक्टूबर 1934 को तरुण गोगोई 1971 में पहली बार लोकसभा सांसद बने थे. राजीव गांधी के दौर में 1985 से 1990 तक कांग्रेस महासचिव रहे. पीवी नरसिंहराव सरकार में राज्यमंत्री रहे. 6 बार सांसद रह चुके गोगोई ने असम में कांग्रेस की तीन बार सरकार बनावाई. वे 2001 से 2016 तक असम के मुख्यमंत्री रहे. गोगोई ने कांग्रेस को लगातार तीन विधानसभा चुनावों में जीत दिलाई.


( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )