योगी सरकार के कार्यकाल में दलहन उत्पादन में रिकॉर्ड 36 फीसदी की बढ़ोतरी

यूपी की योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार ने दलहन उत्पाहन में कीर्तिमान स्थापित किया है. सीएम योगी के प्रयासों से दलहन उत्पादन में रिकार्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई है. अगले तीन चार साल में दलहन उत्पादन में उत्तर प्रदेश आत्मनिर्भर हो जाएगा. इस बारे में सीएम योगी के निर्देश पर किए गए सात साल के नतीजे शानदार रहे हैं. 2016/217 से 2023/2024 के दौरान दलहन उत्पादन में करीब 36% की वृद्धि इसका सबूत है. इस दौरान दलहन का उत्पादन 23.94 लाख मिट्रिक टन से बढ़कर 32.55 लाख मिट्रिक टन हो गया.

ये है सरकार की कार्ययोजना

प्रदेश में दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए अरहर, उर्द एवं मूँग की कार्य-योजना योगी सरकार द्वारा तैयार कर ली गयी. इसके तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजनान्तर्गत 27200 हेक्टेयर फसल प्रदर्शन आयोजित होंगे. इसी क्रम में दलहन राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजनान्तर्गत 31553 कुंतल बीज वितरण एवं 27356 कुंतल प्रमाणित बीज उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. बीज व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए 14 सीड हब तैयार किए गए हैं. इनके जरिए 21000 कुंतल बीज उत्पादन किया जायेगा.

10500 किसानों में अरहर की उन्नतशील प्रजातियों के मिनीकिट्स बांटे जाएंगे. इसी तरह पिछले साल की तरह इस साल भी दलहनी के अन्य फसलों मूंग ,उर्द आदि के भी मिनिकिट बांटे जाएंगे. दलहनी फसलों के उत्पादन के बाद बाजार में उपज का वाजिब दाम दिलाने के लिए सरकार ने इन सभी फसलों की एमएसपी पर खरीद की व्यवस्था भी सुनिश्चित कर रही है. किसान इनके उत्पादन के लिए प्रोत्साहित हों इनके लिए अन्य फसलों की तुलना में हर इनके एमएसपी में भी अधिक वृद्धि कर रही है.

बुंदेलखंड में विकसित होंगे आदर्श दलहन ग्राम दलहन उत्पादन में अग्रणी बुंदेलखंड के जिलों-बाँदा, महोबा, जालौन, चित्रकूट एवं ललितपुर में आदर्श दलहन ग्राम विकसित किये जायेंंगे. बता दें कि दलहन का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता राज्य है. पर, अभी उपभोग का आधा ही उत्पादन प्रदेश में होता है. रणनीति के अनुसार तय समयावधि में प्रति हेक्टेयर उपज 14 से बढ़ाकर 16 कुंतल करने का है. कुल उपज का लक्ष्य 30 लाख टन है. इसके अलावा करीब 1.75 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त रकबे को दलहन की फसलों से आच्छादित करने की भी तैयारी है.

योगी सरकार इसके लिए दलहन की परंपरागत फसलों की उन्नत और अधिक उपज देने वाली प्रजातियों के बीज उपलब्ध कराएगी. कुछ प्रगतिशील किसानों के वहां इनका प्रदर्शन भी होगा. किसानों को बड़ी संख्या में बीज के निशुल्क मिनीकिट भी दिए जाएंगे. यह क्रम जारी भी है. साथ ही फोकस कम समय में होने वाली मूंग, उर्द (उड़द) आदि की फसलों पर होगा. इनकी सहफसली खेती को भी बढ़ावा दिया जाएगा.

असमतल भूमि और सहफसली खेती पर होगा जोर

इसके अलावा असमतल भूमि पर स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली का प्रयोग करते हुये उत्पादन में वृद्धि, फरो एंड रिज मेथड से खेती कर उत्पादन में वृद्धि और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद की गारंटी भी सरकार दे रही है.

दरअसल, खाद्यान्न में रिकॉर्ड उत्पादन के बाद सरकार अब खाद्यान्न सुरक्षा से एक कदम आगे पोषण सुरक्षा के बारे में सोच रही है. इसमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका दलहनी फसलों की होगी. वजह आम आदमी, खासकर शाकाहारी लोगों के लिए प्रोटीन का एक मात्र स्रोत दाल ही है. खपत की तुलना में पैदावार कम होने से अक्सर कुछ वर्षों के अंतराल पर दाल के दाम सुर्खियों में रहते हैं. ऐसा होने पर आम आदमी के थाल की दाल पतली हो जाती है. गरीब के थाल से तो गायब ही. प्रोटीन का स्रोत होने के नाते आम आदमी खासकर गरीबों की सेहत के लिए भोजन में दाल जरूरी है. इसी तरह नाइट्रोजन फिक्ससेशन गुण के कारण दलहनी फसलें भूमि के लिए भी संजीवनी हैं.

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