उत्तर प्रदेश में महिलाओं के विरूद्ध हो रहे अपराध को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने अपने अफसरों को जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करने के आदेश दिए हैं. योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल में महिला सुरक्षा पर जिस तरह काम किया, उसका सीधा असर चुनावों में देखने को मिला. 2022 के विधानसभा चुनावों में महिलाओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और पिछली बार से 5.65 प्रतिशत ज्यादा वोट किया, जिससे भाजपा की राह आसान हुई. भाजपा ने 37 सालों बाद फिर से यूपी की सत्ता में वापसी की.
नोएडा में तैनात डीसीपी महिला सुरक्षा, वृंदा शुक्ला का कहना है कि महिला अपराध और पाक्सों की शिकायतों में सीधे एफआईआर के निर्देश हैं, हमारी कोशिश रहती है कि जल्द से जल्द केस रजिस्टर करके अपराधी को सजा दिलाई जाए. इस वजह से महिलाओं में सुरक्षा की भावना जागृत हुई है जो सरकार की सोच के अनुरूप है.
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मिशन शक्ति-4 की होगी शुरुआत
लव जिहाद, एंटी रोमियो स्क्वॉड और तीन तलाक जैसे कानूनों की सफलता देख चुके योगी, महिला सुरक्षा के मिशन शक्ति-4 की शुरुआत ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के बाद करेंगे ताकि अपने इस खास वोटबैंक को खुश रख पाएं. सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन की टैग लाइन के साथ शुरू होने वाले मिशन शक्ति-4 में सरकार का ज्यादा फोकस पाक्सो केस और महिला अपराध के दोषियों पर और साथ-साथ उन अपराधियों को सजा दिलाने पर है. योगी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में 160 नए पाक्सो कोर्ट बनाएगी ताकि केस की सुनवाई तेज हो और दोषियों को तुरंत सजा मिले. इसी के तहत प्रदेश में 18 साइबर लैब और 18 ही फारेंसिक लैब भी लगभग तैयार हैं.
महिलाओं के लिए बन रहा एक पोर्टल
महिलाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार एक ऐसा पोर्टल भी बना रही है जिस पर हर विभाग महिलाओं के लिए उसके पिटारे में क्या खास है उसकी जानकारी के साथ ही महिला सुरक्षा से जुड़ी हुई हर जानकारी को साझा करेगा. मिशन शक्ति के चौथे चरण में वर्क प्लेस में सेक्सुअल हैरेसमैंट को लेकर कमेटी भी बनायी जाएगी, जो देखेगी कि कामकाजी महिलाओं को वर्क प्लेस पर किसी तरह की दिक्कत तो नहीं आ रही है.हेल्पलाइन नंबर भी सभी शैक्षणिक संस्थानों में उपलब्ध कराए जाएंगे.
18 माह में 35 दोषियों को मिली फांसी
एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार का कहना है कि 18 महीनों के भीतर हमने 35 दोषियों को फांसी की दिलवाई है. ये सारे अभियुक्त महिला अपराध के मामलों में दोषी थे. महिलाओं के विरूद्ध अपराध के मामलों में कुल 11,212 दोषियों को अलग अलग मामलों में सजा मिली है. महिलाओं के प्रति हो रहे अपराध के मामलों में सजा दिलाने में उत्तर प्रदेश 2019 से टॉप पर बना हुआ है.
सजा दिलाने में यूपी का रिकॉर्ड बेहतर
गौरतलब है कि अभियोजन विभाग के अधिकारियों को हर समीक्षा बैठक में इस बाबत ताकीद की जाती है. आंकड़ों की बात करें तो 1 जनवरी 2022 से 31 मार्च 2022 तक पांच अपराधियों को फांसी की सजा मिल चुकी है. महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हुए अपराध में सजा दिलाने में यूपी का रिकॉर्ड अन्य राज्यों से काफी बेहतर है. सजा दिलाने के मामले में 61 प्रतिशत के साथ उत्तर प्रदेश पूरे देश में नंबर वन है. एडीजी अभियोजन आशुतोष पांडे का मानना है कि सजा दिलाने में यूपी पुलिस की बढ़ी हुई स्पीड के पीछे बड़ा कारण केस का डिजिटाइजेशन है जिसके चलते कोर्ट की सुनवाई में तेजी आई है. डिजिटल इंडिया का लाभ अपराधियों को सजा दिलाने में भी हो रहा है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट, फारेंसिक रिपोर्ट, डीएनए रिपोर्ट के जरिए ई-प्रासिक्यूशन तेज होता है. सारी जानकारी एक जगह ई-पोर्टल पर मिल जाती है, कोर्ट को भी आसानी रहती है. ई-पोर्टल पर यूपी ने 77 लाख केस की जानकारी अपलोड की है जबकि मध्य प्रदेश ने 20 लाख और गुजरात ने 4.4 लाख.
महिलाओं में जागृत हुई सुरक्षा की भावना
आपको बता दें कि मिशन शक्ति की शुरुआत 17 अक्टूबर 2020 को हुई थी और तीसरा चरण 10 अप्रैल 2022 तक चला था. इस दौरान 31 अभियुक्तों को मृत्युदंड मिल चुका है, 1004 अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा मिल चुकी है, 938 अभियुक्तों को दस वर्ष से अधिक समय की जेल की सजा हुई है, 2833 अभियुक्त 10 वर्ष से कम की सजा पाएं हैं.ये सारे मामले महिला अपराध के थे जिन्हें फास्ट ट्रैक पर चलाकर अपराधियों को सजा दिलाई गई.
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