UP में दुग्ध उत्पादन बढ़ाएगी योगी सरकार, 10 हजार पशु सखियों को मिलेगी ट्रेनिंग, ये है पूरा प्लान

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Government) पशुधन व ग्रामीण आबादी के विकास और उनकी स्थाई इनकम को बढ़ाने के लिए ए-हेल्प कार्यकम चलाने जा रही है, जिसे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन व पशुपालन विभाग के संयुक्त प्रयास से संचालित किया जाएगा। इस कार्यक्रम को पहले पायलट प्रोजेक्ट के तहत अगस्त माह के पहले हफ्ते में लॉन्च किया जाएगा। शुरुआत में इसे 25 जिलों के 50 विकास खंडों में लागू किया जाएगा, जिसके बाद योगी सरकार इसे पूरे प्रदेश में लागू करेगी। इसके अंतर्गत अगले दो साल में 10 हजार पशु सखियों को प्रशिक्षित किया जाएगा।

कार्यक्रम के जरिए 2000 पशु सखियों को मिलेगा प्रशिक्षण

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की मिशन डायरेक्टर दीपा रंजन ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप ग्रामीणों की आय बढ़ाने एवं उच्च गुणवत्ता के दुधारु पशुओं की संख्या बढ़ाने के लिए लगातार प्रदेश भर में विभिन्न कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। इसी के तहत पायलट प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश के 25 जिलों के 50 विकास खंडों में ए-हेल्प कार्यक्रम का संचालन किया जाएगा।

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इसका उद्देश्य सरकारी पशु चिकित्सालयों के साथ समन्वय बनाना है ताकि आवश्यक पशु चिकित्सा सेवाओं जैसे एथनो-वेट प्रथाओं, पशु रोगों की रोकथाम, समय पर टीकाकरण, कृमिनाशक दवाएं, कृत्रिम गर्भाधान, पशु बीमा आदि को गांव स्तर पर ही उपलब्ध कराया जा सके। वहीं, योगी सरकार का लक्ष्य है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में 2,000 पशु सखियों को ए-हेल्प एजेंट के रूप में प्रशिक्षित करना है। अगले दो वर्षों में यह संख्या बढ़कर 10,000 एजेंटों तक पहुंचने की उम्मीद है, जिससे कार्यक्रम की पहुंच और प्रभाव में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी।

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मिशन डायरेक्टर ने बताया कि ए-हेल्प कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पशु सखियों की आय को बढ़ावा देना है, जिससे उनकी वार्षिक आय 60,000 रुपये तक बढ़ सकती है। मिशन डायरेक्टर के मुताबिक, कार्यक्रम के तहत कवर किए गए जनपदों व विकास खंडों में मिशन स्टाफ की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है। साथ ही पशु सखियों को जरूरी ज्ञान व कौशल के लिए प्रशिक्षण योजनाएं विकसित की गई हैं ताकि वे अपनी भूमिकाओं को प्रभावी ढंग से निभा सकें। प्रशिक्षण सत्रों की सफल समाप्ति के साथ ए हेल्प कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए मंच तैयार है। यह एकीकृत दृष्टिकोण न केवल पशुधन उत्पादकता और स्वास्थ्य में सुधार करेगा बल्कि ग्रामीण समुदायों को पशुपालन से अधिकतम आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए आवश्यक ज्ञान और संसाधनों से भी सशक्त बनाएगा।

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