पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी इस दुनिया से जा चुके हैं. उनकी अंतिम विदाई के दौरान देश मानों कुछ क्षण के लिए ठहर सा गया हो. हर आँख रोई हर दिल बेजार हुआ अटल जी की शख्सियत ही कुछ ऐसी थी. नए प्रतिभावान लोगों को तराश कर आगे बढ़ाना तथा हर कदम पर उन्हें सहायता देना उनके व्यवहार का अभिन्न अंग था. यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर बीजेपी के सभी मुख्यमंत्री उनकी अंतिम यात्रा में पैदल ही चल दिए. पक्ष ही नहीं यहां तक विपक्ष के लोग भी अटल जी के मुरीद थे.
अटल जी ने कईयों को राजनीति में आगे बढ़ाया उनमें एक नाम क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू भी है. दरअसल साल 2004 का था और समय था जब भारत-पाकिस्तान सीरीज में कमेंटरी पूरी करके सिद्धू पाकिस्तान से अटारी बॉर्डर से होते हुए भारत आए थे. सिद्धू राजनीति में बेहद रुचि रखते थे उन्होंने बीजेपी तो ज्वाइन कर ली लेकिन चुनाव लड़ने की बारी आने पर सिद्धू ने हथियार डाल दिए क्योंकि चुनाव लड़कर जीतना सिद्धू के लिए कोई आसान काम नहीं था.
अटल जी का कॉल
आत्मसमर्पण कर चुके सिद्धू के पास अचानक एक कॉल आता है और वो कोई और नहीं अटल जी थे. अटल जी ने सिद्दू को तुरंत चुनाव लड़ने के लिए कहा और अमृतसर लोकसभा सीट से नवजोत सिंह सिद्धू सांसद बने इतना ही नहीं इस सीट से 6 बार सांसद रहे कांग्रेस नेता रघुनंदन लाल भाटिया को परास्त कर सिद्धू एक युवा कद्दावर नेता बनके उभरे.
‘वाजपेयी साब दा सिपाही’
अमृतसर लोकसभा सीट से चुनाव जीतने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू जोश से लबरेज हो उठे. सिद्धू जहां भी जाते थे खुद को गर्व से ‘वाजपेयी साब दा सिपाही’ बताते थे. साल 2007 आते-आते अटल जी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता था इसी साल हुए अमृतसर लोकसभा उपचुनाव में अटल जी ने सिद्धू के समर्थन में अपने जीवन का अंतिम भाषण दिया था.
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