शाहजहांपुर जेल में बंद 103 वर्षीय गुरदीप सिंह को आखिरकार जमानत मिल गई, और बुधवार को वे रिहा हो गए। उनके ही बेटों ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था, जिसके चलते उन्हें जेल जाना पड़ा था।गुरदीप सिंह, जो बंडा के बसंतापुर गांव के निवासी हैं, अपने बेटों की गलत आदतों से परेशान होकर अपनी जमीन गुरुद्वारे के नाम कर दी थी। इससे नाराज होकर बेटों ने उनके खिलाफ साजिश रचते हुए घर में घुसकर गाली-गलौज करने समेत कई आरोप लगाकर एक साल पहले मुकदमा दर्ज करा दिया। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, जिसके बाद उनके बेटों ने उनसे पूरी तरह से संबंध तोड़ लिया।
जेल में रहकर रोजमर्रा की जरूरतों के लिए उन्होंने जेल अधीक्षक मिजाजी लाल से संपर्क किया, जिन्होंने उन्हें कपड़े और स्वेटर उपलब्ध कराए। इसके बाद, जेल अधीक्षक ने उनकी रिहाई के लिए स्वयंसेवी संस्था “सहयोग” से संपर्क किया। संस्था ने 15 दिनों के भीतर न्यायालय से उनकी जमानत मंजूर करा दी, लेकिन जब जमानतदार पेश हुए, तो उनके बेटों ने सत्यापन में बाधा डालने की कोशिश की, जिससे उनकी रिहाई में देरी हुई।
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शाहजहांपुर जेल में बंद 103 वर्षीय गुरदीप सिंह को आखिरकार जमानत मिल गई, और बुधवार को वे रिहा हो गए। उनके ही बेटों ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था, जिसके चलते उन्हें जेल जाना पड़ा था।आखिरकार, संस्था के पदाधिकारियों और अधिवक्ताओं जितेंद्र सिंह व मोहम्मद शाहनवाज की पैरवी के बाद गुरदीप सिंह को जेल से रिहा करा लिया गया। सहयोग संस्था ने उनके रहने और खाने की व्यवस्था की जिम्मेदारी भी ली है। इस मौके पर संस्था के प्रधान अनिल गुप्ता, तराना जमाल, रजनी गुप्ता सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
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