सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती (69000 teacher recruitment) परीक्षा में गलत प्रश्नों के विवाद को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ याचिका की सुनवाई से बुधवार को इनकार कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने ये जरूर कहा कि अभ्यर्थी हाईकोर्ट जा सकते हैं।
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने अमिता त्रिपाठी एवं अन्य की याचिका की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई के दौरान कहा कि वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करेगी। न्यायालय ने हालांकि याचिकाकर्ताओं को फिर से उच्च न्यायालय जाने की छूट प्रदान कर दी।
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दरअसल, उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने राज्य सरकार द्वारा आठ मई 2020 को घोषित परीक्षा परिणाम पर सवालिया निशान लगाते हुए कुछ प्रश्नों एवं उत्तर कुंजी पर भ्रम की स्थिति होने का हवाला देकर पूरी चयन प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए प्रश्नपत्र की जांच के लिए यूजीसी पैनल को भेजने का आदेश दिया था, लेकिन दो न्यायाधीशों की खंडपीठ ने गत 12 जून को एकल पीठ के फैसले पर स्थगनादेश जारी किया था।
इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ताओं ने सहायक शिक्षकों के घोषित परिणाम में कुछ प्रश्नों की सत्यता पर सवाल उठाए थे। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती मामला पिछले दो साल से अधर में लटका हुआ है, जिसके कारण हजारों अभ्यर्थियों के सरकारी नौकरी के सपनों पर ग्रहण लगा हुआ है।
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