गोरखपुर की सीट पर भाजपा और योगी आदित्यनाथ के लिए साख दांव पर लगी है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ इस सीट से जीते थे. मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने यह सीट छोड़ दी और उसके बाद उपचुनाव में बीजेपी को सपा बसपा गठबंधन से हार का सामना करना पड़ा. बीजेपी मामूली अंतर से हारी और जीत का कारण ‘निषाद फैक्टर’ बताया गया.
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वहीं, गोरखपुर लोकसभा सीट से सपा प्रत्याशी राम भुवाल निषाद ने निषाद पार्टी के अध्यक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा- ‘एक सौदा हुआ था. निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद ने पार्टी का हिस्सा बनने के लिए भाजपा से 50 करोड़ रुपये लिए. उनका योगी जी के साथ करार था’.
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सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी के रूप में थे प्रवीण निषाद
साल 2015 में अस्तित्व में आई निषाद पार्टी ने साल 2018 के उपचुनाव में गोरखपुर से प्रवीण निषाद को सपा-बसपा के गठबंधन प्रत्याशी के रूप में लड़ाया था. प्रवीण निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे हैं. अब संजय निषाद कथित तौर पर चुनावी सौदेबाजी में लगे हैं. वे बीजेपी और विपक्ष दोनों गठबंधन के नेताओं को तनाव में डाल रहे हैं.
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सपा-बसपा गठबंधन से तालमेल बैठाना मुश्किल
अभी 26-27 मार्च के लगभग सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने निषाद पार्टी, राष्ट्रीय समानता दल और जनवादी सोशलिस्ट पार्टी के साथ समाजवादी पार्टी के गठबंधन का ऐलान किया था. संजय निषाद ने भी पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा की घोषणा की थी. अखिलेश यादव ने तुरंत प्रवीण निषाद को गोरखपुर से अपनी पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर दिया था. हालांकि उसके 3 दिन बाद ही ये गठबंधन टूट गया. शनिवार शाम को इसमें यूटर्न तब दिखा जब संजय निषाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने पहुंचे थे. बाकायदा मीडिया ने उनके मुलाकात की तस्वीरें भी जारी की थीं. इसके बाद संजय निषाद ने कहा था कि सपा-बसपा गठबंधन से तालमेल बैठाना मुश्किल है.
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